तेरे साथ मैंने भी
तेरे साथ तो मैंने भी नींदें गवाई हैं।तुझसे पहले उठ तेरे लिए चाय बनाई हैं
तेरे गैर मौजूदगी में भी, तेरी ज़िमेदारी उठाई है।
तू सैनिक है देश का, मैंने भी तो देश भक्ति निभाई है।।
तेरी हर परिस्थिति में, मैं तेरा साथ निभाऊंगी।
तेरी हर तकलीफ में मैं तेरी ढाल बन जाऊंगी।
तेरे साथ मैंने भी तो यही कसमें खाई है।
तू सैनिक है देश का, मैंने भी तो देश भक्ति निभाई है।।
तेरे बैगैर मेरी ज़िन्दगी बेजान सी लगती है।
संग तेरे ज़िन्दगी घनी छाँव सी हो जाती है।
तेरे इंतेज़ार में मैनें यादों की दुनियां बनाई है।
तू सैनिक है देश का, मैंने भी तो देश भक्ति निभाई है।।
तू गया है जब भी शरहद पर आंख भर आयी है।
बहते अंशुओं को तुझसे हर बार मैंने छिपाई है।
तू लौटेगा ये दिलाशह खुद को मैंने दिलाई हैं।
तू सैनिक है देश का, मैंने भी तो देश भक्ति निभाई है।।
तेरे उलझनों में परेशान मैं भी तो हुई हूँ।
छोड़कर सारे सपने तेरे संग आयी हूँ।
देखकर तेरी हालत मेरी आत्मा भी तो घबराई है।
तू सैनिक है देश का, मैंने भी तो देश भक्ति निभाई है।।
तू सैनिक है इस देश का, मैंने भी तो देश भक्ति निभाई है।।
दिनाँक 04 अप्रेल 2021 समय 12.30 दोपहर
रचना(लेखक)
सागर(गोरखपुरी)
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