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शुक्रवार, 9 दिसंबर 2022

दिसंबर 09, 2022

तेरे इंतेज़ार में || best hindi shayari 2022 || sagar gorakhpuri || इश्क़ वाली शायरी हिंदी में || मुहब्बत भारी शायरी || shyari on love ||

  तेरे इंतेज़ार
कई शाम गुज़ार दी है तेरे इन्तेजार में मैंने।
हर रोज़ दीये जलाएं हैं, उम्मीदों के चौखट पे मैंने।
तू आये, आकर कहीं लौट ना जाये दस्तक देकर।
इस लिए दिल के दरवाजे पर निगंहो के चौकीदार बिठा रखे हैं मैंने।

दिनाँक : 28 नवंबर 2022                           समय : 8.30 शाम
                                               लेखक(रचना)
                                              सागर गोरखपुरी
 

शनिवार, 15 अक्तूबर 2022

अक्तूबर 15, 2022

बदनाम गली | Hindi kavita badnaam gali | तब्यफ पर कविता | व्यस्यावृत्ति के ऊपर कविता | बदनाम गली सागर गोरखपुरी | कोठा हिंदी कविता | महिला उत्पीड़न पर कविता | तब्यफ की ज़िंदगी हिंदी कविता | व्यस्याओं पर कविता हिंदी में | नारी पर कविता | नारी शोषण पर हिंदी कविता | नारी अत्याचार पर कविता

                                           बदनाम गली
मैंने अक्सर उन गलियों में जिंदगी को सिसकते देखा है।
हंसते चेहरे में बेबस और परेशानी इंसान भी देखा है।
हम जैसे ही है सब वहां कोई फर्क नही है उनमे।
मैंने उन बदनाम गलियों में भी पाक इंसान रहते देखा है।

सहूलियत तो ना के बराबर है वहां, चंद पैसों में जिस्म बेचते देखा है।
शिक्षा असुविधा के बिना भी, उनमें जिंदा रहने का हुनर देखा है।
तुमने सिर्फ जिस्म देखा है उनका, उनमें बैठा इंसान कहां देखा है।
मैंने उन बदनाम गलियों में भी पाक इंसान रहते देखा है।।
वो भी है हमारी तरह फिर भी लोगों को उनसे कतराते देखा है।
जाति,धर्म का तनिक भी भेद नहीं, हर मजहब के लोग आते वहां देखा है।।
उनके भी है कई ख्वाब अधूरे उमंगों के शैलाब भी उनमें देखा है।
तुमने सिर्फ बदन नोचा है उनका, क्या कभी उनका दिल भी देखा है।
मैंने उन बदनाम गलियों में भी पाक इंसान रहते देखा है।।
सिद्धत, मुहब्बत, कर्म, विश्वास, का एहसास वहां देखा है।
रोजी, रोटी, धंधा, पानी, इन सब में भी भी ईमान देखा है।
पैसे पैसे के लिए उन्हें अपना जिस्म बेचते देखा है।
तुमने सिर्फ जिस्म देखा है उनका, उनमें बैठा इंसान कहां देखा है।
मैंने उन बदनाम गलियों में भी पाक इंसान रहते देखा है।।
मैंने वहां जिस्म से बेहतर, रूहानियत से भरे इंसान देखे है।
तुमने कभी सुना है उनको मैंने घंटो सुना है उन्हें।
अब वो भी समाज मे सम्मान चाहती है बदनाम गलियों में भी खुला आसमां मांगती है।
मैंने ख्वाहिशों को समेटे उन्हें मरते देखा है।
तुमने सिर्फ जिस्म देखा है उनका, उनमें बैठा इंसान कहां देखा है।
मैंने उन बदनाम गलियों में भी पाक इंसान रहते देखा है।।


दिनाँक : 25 सितंबर 2022                      समय : 11:00 सुबह
                                                 रचना(लेखक)
                                               सागर गोरखपुरी

बुधवार, 21 सितंबर 2022

सितंबर 21, 2022

बेटियां | बेटियों पर हिंदी कविता | सागर गोरखपुरी की कविताएं | लड़कियों पर कविता | महिलाओं पर कविता | महिला शोषण पर कविता | बेटियों पर कविता | महिला उत्पीड़न पर हिंदी कविता | poem on Daughters | औरतों के जीवन पर कविता | बेटी अत्याचार पर कविता

                                             बेटियां
घर वही, आंगन वही, सारे रिश्ते नाते सब वही।
दिन वही, रातें वही, मां का आँचल पिता का शाया वही।
जब सब कुछ वही है तो मेरा आंगन मेरा क्यूं नही।
जो घर कभी हमारा भी था बेटियों के लिए उनका घर उनका क्यूं नही।।
बाबा मैं तेरी गुड़िया वही, आंगन की सोन चिरईया वही।
तेरी चिंता वही, फिक्र वही, पर उस घर में मेरी याद क्यूं नही।
जिस दहलीज़ से तूने बिदा किया उसमें क्यूं मेरा प्रवेश नही।
जो घर कभी हमारा भी था बेटियों के लिए उनका घर उनका क्यूं नही।।
माँ तुम वही, बाबा वही, पर भाई और मैं एक जैसे क्यूं नही।
हम सब एक जैसे ही तो है पर मैं तुम जैसी क्यूं नही।
मेरा कोई दोष नही जो जनमी बेटी बनकर मैं।
फिर क्यूं इतना क्रोध है मुझसे, बेटे के लिए क्रोध क्यूं नही।
जो घर कभी हमारा भी था बेटियों के लिए उनका घर उनका क्यूं नही।।
मुझे कुछ ना चाहिए उस दुनियां से, फिर भी क्यूं मेरे लिये वहां प्यार नही।
क्या इतने बेगाने हो गये हैं हम की दीवारों पर भी कोई निशान नही।
जननी है वहां की माटी मेरी, उस माटी से क्यूं मेरी पहचान नही।
जो घर कभी हमारा भी था बेटियों के लिए उनका घर उनका क्यूं नही।।
                 "बेटियों के लिए उनका घर उनका क्यूं नही"।।


दिनाँक : 18 सितंबर 2022                     समय : 10: 10 सुबह
                                                रचना(लेखक)
                                               सागर गोरखपुरी


शुक्रवार, 9 सितंबर 2022

सितंबर 09, 2022

माना की | प्यार पर हिंदी कविता | Love poem in Hindi | सागर गोरखपुरी | लव कविता हिंदी में | मोहब्बत पर कविता हिंदी में | Best love poem in hindi | sagar gorakhpuri ki best kavitayen | आशिकी पर कविता | ब्रेकअप पर हिंदी कविताएं

                                              माना की
माना की मेरे दिन, मेरी रातें,  मेरे पल, सब लौटा दोगे।
पर क्या मेरा वक्त लौटा पाओगे।
मेरा इंतेज़ार, मेरा ख्याल, मेरा ऐतबार, कभी याद कर पाओगे।
या यूँ ही जल्दीबाज़ी में इन्हें चौखट पर छोड़ आओगे।
क्या सच मे तुम मुझे भूल पाओगे।।

माना की मैं गलत था, गलतियां की मैंने। 
क्या अपने गलतियों पर पर्दा डाल पाओगे।
झूठ के सहारे कब तक खुद को समझोगे।
क्या सच मे तुम मुझे भूल पाओगे।।
माना की तुम कहती थी, चल बदल जाएंगे तुम्हारे लिए।
हर मुश्किलात में साथ चलेंगे तुम्हारे लिए।
क्या सच मे उन वादों पर तुम ठहर पाओगे।
या हर बार की तरह झूठी कसमें खाओगे।
क्या सच में तुम मुझे भूल पाओगे।।
माना की हर बार की तरह इस बार भी तुम वक़्त पर आओगे।
मेरे देर हो जाने पर, हक़्क़ से मुझ पर चिल्लाओगे।
क्या मेरे एक इल्तेज़ा पर अपना फैसला बदल पाओगे।
बिना शर्तो के बस एक बार, मेरे घर तक आओगे।
या यूँ ही जल्दी बाज़ी में सारे वादे चौखट पर छोड़ आओगे।
क्या सच मे तुम मुझे भूल पाओगे।।

दिनाँक : 02 सितंबर 2022                    समय : 11: 10 सुबह
                                             रचना(लेखक)
                                            सागर गोरखपुरी

गुरुवार, 8 सितंबर 2022

सितंबर 08, 2022

कभी फुर्सत के पल | ज़िन्दगी पर शायरी | Poem On life | zindagi shayari in hindi | Best shayari on life | शुक्रिया ज़िन्दगी शायरी | ज़िन्दगी शायरी | सागर गोरखपुरी की शायरियां

कभी फुर्सत के पल मिले तो क़रीब आकर बैठ ऐ जिंदगी।
दिया है जो कुछ भी मुझे, उसका हिसाब तो कर ऐ जिंदगी।
तेरा शुक्रगुजार हूं कि तूने मुझे, ज़मीं से आसमां में उड़ने की आजादी दी।
कुछ ख्वाब अधूरे हैं उसे पूरा कर लेने की मोहलत दे ऐ जिंदगी।।


दिनाँक : 06 सितंबर 2022                    समय : 12:03 दोपहर
                                                 रचना(लेखक)
                                                सागर गोरखपुरी

 

शनिवार, 13 अगस्त 2022

अगस्त 13, 2022

फौजी की जुबानी | Peam of soldiers | Sagar Gorakhpuri | फौजी की ज़िंदगी पर कविता | फौजी पर कविता | वीरों पर कविता | देश के जवानों पर कविता | बहादुरी पर हिंदी कविता | त्याग और बलिदान पर कविता | सैनिकों पर कविता

                                     फौजी की जुबानी
तुम्हे ये पता है कि ज़िन्दगी सिर्फ एक मर्तबा मिलती है।
और हम है कि शरहद पर हर रोज जीते और मरते हैं।
बंदूकें ताक़त नही हैं हमारी, हमसफ़र है ये।
एक दूसरे के बिना कहाँ सांसे चलती है।।

मरने जीने का खौप कहाँ किसे है।
हाथों में खुद की जान लिए फिरते हैं।
दस्तक़ देते है हर रोज वहाँ हम।
जहाँ से लौटना थोड़ा मुश्किल है।
हमें जानना हो तो बैठो दो पल साथ कभी।
कैसे शरहद पर हम, हर रोज जीते और मरते है।
बंदूकें ताक़त नही हैं हमारी, हमसफ़र है ये।
एक दूसरे के बिना कहाँ सांसे चलती है।।
हर रोज झूठ का सहारा हम लेते है।
जब जब माँ से बातें करते है।
पता नही उसे अब कहाँ हूँ मैं।
हर रोज पुरानी लोकेशन बताते हैं।
दिल की बीमारी है उसे इस लिए हर बात छिपाते है।
हमें जानना हो तो बैठो दो पल साथ कभी।
कैसे शरहद पर हम, हर रोज जीते और मरते है।
बंदूकें ताक़त नही हैं हमारी, हमसफ़र है ये।
एक दूसरे के बिना कहाँ सांसे चलती है।।
ज़िन्दगी जीने का हुनर हम से बेहतर किसी में नही है।
हर मुश्किल को बड़े शालीके से हम सुलझाते है।
रिश्ते, नाते, दोस्ती, प्यार, सभी को बाखूबी निभाते हैं।
दुश्मन दिख जाये जो शरहद पर फौलाद बन जाते है।
रख दे जो दुश्मन कदम धरा पर विक्रम बत्रा भी बन जाते है।
हमें जानना हो तो बैठो दो पल साथ कभी।
कैसे शरहद पर हम, हर रोज जीते और मरते है।
बंदूकें ताक़त नही हैं हमारी, हमसफ़र है ये।
एक दूसरे के बिना कहाँ सांसे चलती है।।
धरती कहीं बर्फीली है कारगिल कहीं रेगिस्तान है।
हम ही हैं जिनका ह्रदय, कम ऑक्सीजन में भी करता काम है।
अंधी, तूफान सर्दी गर्मी ये सब भी हमसे परेशान हैं।
खड़े हुए हम जब भी जहां भी लौट जाते शैलाब है।
मरने जीने का खौप हमें कहाँ , हम तो दिलों में जिंदा रहते है।
ज़िंदा रहें तो शुर्खियों में, शाहिद हुए तो राजनीति बन जाते हैं।
हमें जानना हो तो बैठो दो पल साथ कभी।
कैसे शरहद पर हम, हर रोज जीते और मरते है।
बंदूकें ताक़त नही हैं हमारी, हमसफ़र है ये।
एक दूसरे के बिना कहाँ सांसे चलती है।।

दिनाँक : 27 जुलाई 2022                      समय : 03:30 दोपहर
                                                 रचना(लेखक)
                                                सागर गोरखपुरी

शनिवार, 6 अगस्त 2022

अगस्त 06, 2022

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                                          लव शायरी 
तेरे जाने पर शोर बहुत था उस वक़्त।
अब गहरे खामोशी में भी शोर बहुत है।
दस्तक़ देती है तू हर रोज़ दिलो दिमाक पर।
पर तेरी बातों का बाहर शोर बहुत है।।
पाप

दिनाँक : 26 जुलाई 2022                        समय : 07: 45 शाम
                         रचना(लेखक)
                  सागर गोरखपुरी

मंगलवार, 26 जुलाई 2022

जुलाई 26, 2022

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                                              लव शायरी
ज़िन्दगी आज कल मुझ पर मेहरबान होकर चल रही है।
जाने क्या बात है वो फिर याद आ रही है।
शायद उसने फिर से याद किया है मुझे दिल से।
एक अरसे बाद मुझे फिर हिचकियाँ आ रही हैं।।

दिनाँक : 10 जुलाई 2022                        समय : 08.35 सुबह
                                                 रचना(लेखक)
                                                सागर गोरखपुरी

शनिवार, 9 जुलाई 2022

जुलाई 09, 2022

माँ पर कविता | माँ के लिए शायरी | mother shayari | माँ पर शायरी सागर गोरखपुरी | माँ के लिए शायरी | Sagar gorakhpuri | माँ शायरी | माँ शायरी इन हिंदी |

                                                    माँ
"वो रहमत है, वो बरक़त है, घर की वो रौनक है।
मिठास की पुड़िया है ख्वाबों वो की दुनियाँ है।
दुआओं की ताबीज है दुनियाँ में एक तहज़ीब है।
वो वक़्त है थोड़ी सख्त है पर जख्मों वो जैसे मरहम है।
ये कोई और नही बस माँ है।।"

दिनाँक : 09 जुलाई 2022                      समय : 10: 05 सुबह
                                                 रचना(लेखक)
                                                सागर गोरखपुरी

रविवार, 12 जून 2022

जून 12, 2022

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                                                शायरी
"ख्वाबों के जहान में ख्वाब बेशुमार हैं।
ख्वाहिशों के बाजार में रंग हज़ार है।
खुशियों का क्या ये तो सिर्फ वक़्त के मोहताज़ है।
खुद को वक़्त दो, तो ये खूबसूरत बेहिसाब है।।"

दिनाँक : 11 जून 2022                          समय : 80:00 शाम
                                                 रचना(लेखक)
                                                सागर गोरखपुरी



शुक्रवार, 10 जून 2022

जून 10, 2022

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                                         Best Shayari
"ऊँचाइयों पर पहुंच कर ठहरना आसान नही।
अहंकार का कोई रूप, कोई रंग नही।
अक्सर लोग दिल में मैं का घर बना लेते हैं।
तेज़ आँधियों में ऐसे आशियाँ ठहरते नही।।"

दिनाँक : 09 जून 2022                समय : 09:36 सुबह
                                                 रचना(लेखक)
                                                सागर गोरखपुरी

बुधवार, 8 जून 2022

जून 08, 2022

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          प्यार की शायरी
"तेरी दुआओं का असर है कि मैं ज़िंदा हूँ।
वरना लोगों ने मुझे कब का मार दिया।
कुछ तो है हमारे दरमियां ये खुद जाने।
जहाँ से तू छूटा, वहाँ से हम लौटे ही नही।।"

दिनाँक 26 मई 2022                              समय 10.16  सुबह
                
                                                 रचना(लेखक)
                                               सागर गोरखपुरी

सोमवार, 6 जून 2022

जून 06, 2022

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                                                लव शायरी

"सजदा करूँ या फिर इबादत तेरी।
दुआओं में ज़िक्र या फिर जुस्तजू तेरी
मुझे रहना है हमेशा कुर्बत में तेरी।
हर वक़्त बातें, बस तुझसे तेरी।।"

दिनाँक :04 जून 2022                            समय : 03.15 शाम
                                                 रचना(लेखक)
                                                सागर गोरखपुरी

मंगलवार, 31 मई 2022

मई 31, 2022

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                                                 लव शायरी
"रूकिये, ठहरिये, देखिए फिर चलिए।
ये इश्क़ का मामला है जरा सम्भलकर कदम रखिये।
यहां हर मोड़ पर मंज़र बदल जाता है।
नाज़ुक बड़ा है दिल इसे सलीके से पेश कीजिये।।"

दिनाँक : 26 मई 2022                             समय : 06.10 शाम
     
                                             रचना(लेखक)
                                           सागर गोरखपुरी

शुक्रवार, 27 मई 2022

मई 27, 2022

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                                             बेस्ट शायरी
"रिवायतों में दफ़न हर खुशी मत कीजिये।
चंद लम्हो की ज़िन्दगी में सदियां जी लीजिये।
वक़्त का क्या है ये तो बेवफा है।
बांहे फैलाइये और खुशियां समेट लीजिये।।

दिनाँक : 26 मई 2022                           समय : 05.50 शाम
     
                                                 रचना(लेखक)
                                                सागर गोरखपुरी


मई 27, 2022

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                                      सच्ची शायरी
"अच्छा होता की तू मिला ना होता।
मुझे ज़िन्दगी से कोई गिला ना होता।
एक मोड़ पर ऐसी साजिश की तुमने।
नींद में रहता मैं, शायद जगा ना होता।।"

दिनाँक : 23 मई 2022                         समय : 07.30 सुबह 
        
                                                 रचना(लेखक)
                                                सागर गोरखपुरी


मई 27, 2022

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                                 सच्चे प्यार की शायरी
"ज़िन्दगी थोड़ी कम होती तो बेहतर था।
रास्ते आसान होते तो भी बेहतर था।
इतनी मशक़्क़त भारी ज़िन्दगी है।
कुछ ख्वाब कम होते तो बेहतर था।।"

दिनाँक : 23 मई 2022                          समय : 06.35 सुबह
                                                  रचना(लेखक)
                                                 सागर गोरखपुरी

मई 27, 2022

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                                          नई शायरी
"सब्र, संतोष और इंसानियत रखिये।
दूसरों की कैफ़ियत पर हँसना छोड़िये।
यूँ तो ज़िन्दगी का कोई पल मुठी में कैद नही।
जो मिला ईश्वर से उसे बांटते चलिए।।"

दिनाँक 25 मई 2022                             समय  08.15 सुबह 
                                                 रचना(लेखक)
                                                सागर गोरखपुरी

गुरुवार, 26 मई 2022

मई 26, 2022

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                                            लव शायरी
"अरसा गुज़र गया फिर भी तू है कहीं।
खयालों में ना सही फिजाओं तू है कहीं।
ढूंढता हूँ तुझे यादों के उन गलियों में।
 क्या तुझमे ज़िंदा मैं हूँ कहीं।।"

दिनाँक : 24 मई 2022                                समय : 08.10
                                                 रचना(लेखक)
                                                सागर गोरखपुरी

बुधवार, 25 मई 2022

मई 25, 2022

प्यार की शायरी | प्यार पर शायरी | सागर गोरखपुरी की शायरी | सच्चे प्यार की शायरी | प्यार भी शायरी | Love shayri |

                                                  शायरी

"रूहानियत से अपना रिश्ता रखिये।
जिस्म का फितूर दिमाक से निकल फेंकिए।
कच्चे मोम सा बना है ये शरीर ।
बदन से जुड़ने से बेहतर है आत्मा से जुड़िये।।"

 
दिनाँक : 25 मई 2022                      समय : 07.30 सुबह
                                                रचना(लेखक)
                                               सागर गोरखपुरी



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लेखक !! Poem on Writer by sagar gorakhpuri !! लेखक पर कविता !! Poem on behalf of All Writer !! लेखक हिंदी कविता !! लेखक पर सबसे अच्छी कविता !!

     लेखक मैं जन्मा जिस तरह उस तरह मरना नही चाहता हूँ। मैं लेखक हूँ सियाही से खुद की उम्र लिखना चाहता हूं। खुद के ख्वाहिशों के लिए अब वक़्त न...