Hello friends my name is Amit Kumar Sagar and I am a government employee, with this platform, I will tell my thoughts, my poems, stories, shayari, jokes, articles, as well as my hobbies.

Breaking

Translate

शनिवार, 24 अप्रैल 2021

अप्रैल 24, 2021

कोरोना पर कविता : घर से बाहर | कोरोना पर कविता | कोरोना काल की कविताएं | Poem on corona | covid19 kavita in hindi | कोरोना महामारी: सागर गोरखपुरी

                              घर से बाहर

चल थाम के बैठ जातें है दिलों को।
घबराते नही समझातें है मन को।
कुछ पल के लिए छोड़ देतें हैं घुमना फिरना।
घर के बाहर तो मौत के सौदागर तम्माम बैठें है।।

मसीहा समझते थे जिनको वो हैवान हुए बैठें हैं।
बढ़ते महामारी में वो बईमान हुए बैठें हैं।
हर जगह इंतेक़ाल की दुकानदार खोले बैठें हैं।
घर के बाहर तो मौत के सौदागर तम्माम बैठें है।।
इस बार की हालत पहले से कहीं जादा बत्तर है।
बिलखते लोगों को ना घर और ना ऑक्सीजन मुअस्सर है।
निकाल लेते है बेजान जिस्म से कमबख़्त किडनियां ।
घर के बाहर तो मौत के सौदागर तम्माम बैठें है।।

दोष किसे दें अब तो खुद को ही कोष लेते हैं।
इन सारी परेशानियों को हंस के झेल लेते हैं।
वक़्त नासाज है चलो अपनो का खयाल रखें।
घर के बाहर तो मौत के सौदागर तम्माम बैठें है।।
कभी लगती थी कतारें ए.टी.एम के बाहर।
अब ऑक्सीजन के लिए भी कतार है।
खून की थैलियाँ भी अब तो वांछित नहीं है टैक्स से।
देश की हालत खस्ता और खराब है।।

घर से बाहर मत निकलो सभी।
घर के बाहर तो मौत के सौदागर तम्माम हैं।।


                   दिनाँक  23 अप्रैल 2021  समय  11.00 रात
                                                   रचना(लेखक)
                                                 सागर (गोरखपुरी)

रविवार, 11 अप्रैल 2021

अप्रैल 11, 2021

तेरे साथ मैंने भी | कविता फौजी की बीबी | Poem on military wife | सैनिकों पर कविता | हिंदी कविता फौजी पर |

                             तेरे साथ मैंने भी

तेरे साथ तो मैंने भी नींदें गवाई हैं।
तुझसे पहले उठ तेरे लिए चाय बनाई हैं
तेरे गैर मौजूदगी में भी, तेरी ज़िमेदारी उठाई है।
तू सैनिक है देश का, मैंने भी तो देश भक्ति निभाई है।।

तेरी हर परिस्थिति में, मैं तेरा साथ निभाऊंगी।
तेरी हर तकलीफ में मैं तेरी ढाल बन जाऊंगी।
तेरे साथ मैंने भी तो यही कसमें खाई है।
तू सैनिक है देश का, मैंने भी तो देश भक्ति निभाई है।।
तेरे बैगैर मेरी ज़िन्दगी बेजान सी लगती है।
संग तेरे ज़िन्दगी घनी छाँव सी हो जाती है।
तेरे इंतेज़ार में मैनें यादों की दुनियां बनाई है।
तू सैनिक है देश का, मैंने भी तो देश भक्ति निभाई है।।

तू गया है जब भी शरहद पर आंख भर आयी है।
बहते अंशुओं को तुझसे हर बार मैंने छिपाई है।
तू लौटेगा ये दिलाशह खुद को मैंने दिलाई हैं।
तू सैनिक है देश का, मैंने भी तो देश भक्ति निभाई है।।
तेरे उलझनों में परेशान मैं भी तो हुई हूँ।
छोड़कर सारे सपने तेरे संग आयी हूँ।
देखकर तेरी हालत मेरी आत्मा भी तो घबराई है।
तू सैनिक है देश का, मैंने भी तो देश भक्ति निभाई है।।

तू सैनिक है इस देश का, मैंने भी तो देश भक्ति निभाई है।।

            दिनाँक 04 अप्रेल 2021     समय  12.30 दोपहर
                                                  रचना(लेखक)
                                               सागर(गोरखपुरी)

Most Recent post

लेखक !! Poem on Writer by sagar gorakhpuri !! लेखक पर कविता !! Poem on behalf of All Writer !! लेखक हिंदी कविता !! लेखक पर सबसे अच्छी कविता !!

     लेखक मैं जन्मा जिस तरह उस तरह मरना नही चाहता हूँ। मैं लेखक हूँ सियाही से खुद की उम्र लिखना चाहता हूं। खुद के ख्वाहिशों के लिए अब वक़्त न...