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शुक्रवार, 23 अक्तूबर 2020

महिला उत्पीड़न हिंदी कविता | महिलाओं पर हिंसा की कविता | नारी शोषण पर कविता |Female harassment Hindi poem

                                          कवित     

                                   महिला उत्पीड़न  

महिलाओं की इतनी बुरी हालत क्यों किये जा रहे हो।
किसी को मार रहे हो तो किसी को जला रहे हो।
क्यूँ खेल रहे हो इनसे इतने ख़ौपनाक खेल ।
किसी को कोठरी में बंद तो किसी को लटका रहे हो।।
हैवानियत की तो हद हो गयी क्यूँ इन्हें दबोचे जा रहे हो।।
बलात्कार जैसे घिनौने काम क्यूँ  तुम किये जा रहे हो।
क्या शर्म सी नही आती तुम्हे क्यूँ इन्हें पिटे जा रहे हो।
बिना मतलब क्यूँ इन्हें ज़मीन पर उन्ही घसीटे जा रहे हो।।
कदर नही कर सकते इनकी तो,इज़्ज़त क्यूँ उतार रहे हो।
घुटन भारी ज़िन्दगी में इन्हें क्यूँ धकेले जा रहे हो। 
प्यार करना जुर्म है तो खुद क्यूँ किये जा रहे हो।
अपनी गलतियां क्यूँ तुम इन पर थोपे जा रहे हो।।
यकीन नही होता तुम ऐसा क्यूँ  हुए जा रहे हो।
खुले आम महिलाओं की कत्लेआम किये जा रहे हो।
वैश्यावृति तुम्हे पसन्द नही फिर भी इन्हें धकेले जा रहे हो।
इनसे इनकी मर्ज़ी तो पूछो क्यूँ मनमर्ज़ी किये जा रहे हो।।
हक़ नही क्या इन्हें जीने का क्यूँ गला घोंट जा रहे हो।
क्यूँ छीन रहे हो खुशियां इनकी क्यूँ इन्हें तड़पा रहे हो।
उड़ने दो इन्हें खुले गगन में क्यूँ बन्दी इन्हें बना रहे हो।
महिलाओं की इतनी बुरी हालत तुम क्यूँ किये जा रहे हो।।

                      क्यूँ किये जा रहे हो।।.......

           दिनाँक 23 अक्टूबर 2020  समय 11 .00 रात
                                       रचना(लेखक)
                              अमित सागर(गोरखपुरी)

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