हिन्दी कहानी सियाचिन ग्लेशियर, एक फौजी की जुबानी भाग 2 Hindi Story Siachen Glacier
हिन्दी कहानी
सियाचिन ग्लेशियर, एक फौजी की जुबानी
Siachen Glacier
भाग 2
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हिन्दी कहानी
सियाचिन ग्लेशियर, एक फौजी की जुबानी
Siachen Glacier
भाग 2
हिन्दी
भटकती आत्मा(मंगला की)
Wandering soul (of Mangala)
दिनाँक 24 जुलाई 2020 समय 4.00 शाम
रचना(लेखक) अमित सागर(गोरखपरी)
अमित ने अपनी साईकिल किनारे लगाई ही थी कि "मंगला" ने कहा यहाँ आओ और इधर बैठो,अमित डरता हुआ उसके पास बैठ जाता है "मंगला" ने कहा पूछोगे नहीं की उसके बाद क्या हुआ , अमित ने कहा मुझे माफ़ कर दो तभी "मंगला" ने कहा मुझे पता है तुम भूल गए थे अमित उसके हाथों को पकड़ के,आगे बताओ क्या हुआ तभी "मंगला" ने कहा जब मुझे होश आया तो मै हॉस्पिटल में थी मेरे सामने नर्स खड़ी थी मैंने चारो तरफ नज़र घुमाई पर "रजत"कही नहीं दिख रहा था मैंने नर्स से पूछा "रजत" कहाँ है नर्स ने कहा ।।.......
मै किचन में रात का खाना बना रही थी फोन की आवाज सुनते ही मै फोन की तरफ भागी और झट से फोन को उठाया मैंने हैलो कहा उधर से शायद किसी लड़की की आवाज थी उसने मुझसे कुछ कहा ही था और मैं बेहोश हो गयी थी इतना कहते ही "मंगला"की आँखों से आँशु निकलने लगते है ठण्ड बढ़ने लगी थी कोहरा भी जादा घाना होने लगा था उसने अमित के हाथों को जोर से पकड़ रखा था अचानक से उसने अमित के हाथों को छोड़ दिया था, उसकी नज़र रोड पर थी अमित ने कहा क्या हुआ, "मंगला" ने कहा कुछ नहीं अब मैं चलती हूँ आगे तो बताओ क्या हुआ अमित ने उससे कहा, उसने कहा कल मिलते है यही पर, तभी "रज़िया" अमित से कहती है।
भाई आप कब आए और मै यहाँ कैसे,अमित ने कहा मुझे क्या पता तुम तो लगभग 2 घंटे से यहीं बैठी हो,उसी वक़्त "रज़िया"के अब्बा उसे ढूढते हूए आवाज दे रहे थे
अभी "रज़िया" ने हाँ अब्बा कहा ,रज़िया के अब्बा ने कहा तुम इतनी ठण्ड में यहाँ क्या कर रही हो ,मुझे कुछ पता नहीं अब्बा मै यहां कैसे आयी तभी अमित ने कहा अभी थोड़ी देर पहले इसके ऊपर"मंगला"की आत्मा थी शायद आपके आने का आभास हो गया था उसको, इसी लिए छोड़कर चली गयी, उसी वक़्त अमित के कानों में आवाज आई, मै यही हूँ अमित डर से काँपने लगा था।
उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे "मंगला" ने उसके कंधे पर अपना हाथ रखा हो तभी "मंगला" ने उससे कहा डरो मत कल खूब सारी बातें करनी है तुमसे, इतना कह के शायद ओ चली गयी थी इक़बाल के अब्बा रज़िया को घर ले जाते है और अमित अपनी साईकिल लेके अपने घर चला जाता है ।
अमित रात का खाना खाने के बाद अपने कमरे में जाता है
तभी उसे कमरे में किसी की आहट महसूस होती अमित कमरे की सारी लाईट जला देता है पर कमरे में कोई नहीं था वो सोने ही वाला था कि तभी।।.........
भाग 10 समाप्त
(आगे की कहानी के लिए बने रहिये मेरे साथ)
भटकती आत्मा 11 www.amitsagar85.com/2020/07/11-hindi-story-wandering-soul-of-mangala.html?m=1
अमित ने कहा आगे बताओ तभी "मंगला" ने कहा मुझे अब जाना होगा और जाते वक़्त उसने अमित से कहा तुम बहुत अच्छे हो अगर मुझे समझना है तो कल फिर तुम्हे आना होगा इतना कह कर वो चली गयी थी अब अमित के दिल में डर नहीं था वो "मंगला" की भटकती आत्मा के बारे में जनाना चाहता था उधर "मंगला" भी शायद अमित से सब कुछ बताना चाहती थी ।अगली दिन शाम 7.15 मिनट पर जब अमित स्टेडियम से इकबाल के घर लौट रहा था उसे एहसास हो रहा थी की कोई तो है जो उसके साथ चल रहा था ठण्ड उस दिन कुछ कम थी लेकिन कोहरा कुछ जादा था अमित ने पीछे मुड़कर देखा पर कोई नज़र नहीं आया उसने अपनी साईकिल की रफ़्तार बढ़ाई तभी उसकी नज़र इक़बाल के घर से 100 मीटर पहले एक छोटे पुलिया पर बैठी लड़की पर पड़ती है उसके बाल खुले हुए थे अमित घबरा जाता है चारो तफर सन्नाटा अमित हिम्मत करके उसके पास पहुँचता और तभी।।.....
भाग 8 समाप्त।।
तुम थोड़ा और करीब आओ अमित आगे खिसकता जाता है "मंगला" की आत्मा रज़िया के अंदर थी और रज़िया कल की तरह चिराग के सामने बैठ के झूम रही थी उसके बल खुले थे और वो अमित को देखे जा रही थी अमित घबरा रहा था तभी "मंगला" की आत्मा ने भरी आवाज में अमित से कहा, मेरे चेहरे पे जो बल गिर रहे है उसे मेरे कानों के पीछे करो इसे सुनकर इक़बाल की अम्मी आगे आती है तभी "मंगला" तुम दूर हटो नापाक औरत, इतना सुनते ही इक़बाल के अब्बा इत्तर से भीगी हुई रुई को रज़िया के नाक पर लगा के उसे कानो में कलमा पढ़ के जोरों से फूँक मारते है।
तभी "मंगला"की आत्मा जोर से चीखती है और इक़बाल के अब्बा उससे पूछते है तू कौन है वो जोर से चिल्लाई और
कहा मै "मंगला" हूँ इक़बाल के अब्बा ने कहा मेरी बेटी को छोड़ के चली जाओ ,"मंगला" कभी नहीं इसके साथ तो मैं पिछले 15 सालों से हूँ कैसे छोड़ दूँ इसे, इक़बाल के अब्बा ने कहा नहीं छोड़ेगी तो इसी चिराग में तुझे जला दूंगा। इतना सुनते ही "मंगला की आत्मा रज़िया के शरीर में छटपटाने लगी उसके आँखों से आँसू बहने लगे, उसने अमित की तरफ देखाकर कहां मुझे मत जलाओ कितनी बार मुझे जलाते रहोगे, अमित ने अपने जेब(पॉकेट) से रुमाल निकली और थोड़ा आगे बढ़ के उसके आशुओं को पोछता है।
तभी "मंगला" अमित के हाथों को थाम लेती और उसकी तरफ देखने लगती है उसके आँसू नहीं थमा रहे थे तभी अमित "मंगला" से कहता है क्या मैं तुमसे कुछ पूछ सकता हूँ "मंगला" ने मोठे आवाज में कहां पूछो,अमित ने पूछा तुम रहती कहाँ हो उसने कहा सामने जो नीम का पेड़ दिख रहा है वहीँ उसके।।......
भाग 7 समाप्त।।
(आगे की कहानी के लिए बने रहिये मेरे साथ)
भटकती आत्मा 8 www.amitsagar85.com/2020/07/8-hindi-story-wandering-soul-of-mangala.html?m=1
अमित की धड़कने बढ़ रही थी तभी उसने कुछ सुना शायद मंगला ने कुछ कहा था Amit, please come in, how long have I been waiting for you (अमित कृपया अंदर आ जाओ मै तुम्हारा कब से इंतज़ार कर रही हूँ) अमित कमरे की तरफ बढ़ा ही था कि इक़बाल ने उसे रोका और कहा ये रुमाल सिर पर बांध लो फिर अंदर जाना इक़बाल ने अमित के सिर पर अपनी रुमाल बांध दी अमित कमरे के दरवाजे पर पहुंचा ही था कि तभी रज़िया झटके से अपनी गर्दन अमित की तरफ घुमाती है रज़िया के अंदर मंगला की आत्मा प्रवेश कर चुकी थी उसने कहा Where is it so late (इतनी देर कहाँ हो गई तुम्हे) अमित घबराते हुए बोला, वो मेरी साईकिल ख़राब हो गयी थी
भाग 6 समाप्त।।
(आगे की कहानी के लिए बने रहिये मेरे साथ)
भटकती आत्मा 7 www.amitsagar85.com/2020/07/7-hindi-story-wandering-soul-of-mangala.html?m=1
दिनाँक 11 जुलाई 2020 समय 3.00 शाम
रखी में ज़रूर आऊंगा वादा किया है जो तुझसे तो उसे निभाउंगा। इस बार मान जा, राखी में ज़रूर आऊंगा। मैं जानता हूँ मेरे सिवा कोई नही सहारा तेरा। बस...
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