हिन्दी कहानी
भटकती आत्मा(मंगला की)
Wandering soul (of Mangala)
भाग 5
मै कल फिर तुम्हारा इंतज़ार करुँगी इतना कह के वो चली गयी थी अमित जोर से चिलाय और चारो तरफ देखा, पर कोई नहीं दिखा,जो कुत्ते भौंक रहे थे वो भी आज चुके थे अमित साईकिल को पकडे हुए पैदल अपने घर पहुँचता है वो घबराया हुआ था घर पहुचते ही माँ ने पूछा कहाँ इतनी देर हो गयी अमित ने कहा कुछ नहीं माँ थोड़ा काम था उसने माँ से खाना माँगा और खाने के बाद अपने कमरे में चला गया वो सोने की कोशिश कर रहा था लेकिन उसे सिर्फ कल की चिंता थी यही सोचते सोचते उसकी आँख लग चुकी थी और वो सो गया था।
दूसरे दिन शाम को 4 बजके 30 मिनट पर वो स्टेडियम पहुँचता था उस दिन भी ठण्ड बहुत जादा थी पर कोहरा थोड़ा कम था अमित ने स्टेडियम के चारों तरफ नजर घुमाई पर इक़बाल उसे कही नज़र नहीं आ रहा था अमित ने अपने कोच से पूछा,सर इक़बाल कहाँ है सर ने कहा इक़बाल तो आज आया ही नहीं ये सुनते ही अमित परेशान होने लगता है वो दौड़ के साईकिल स्टैंड के पास पहुंचता है और अपनी साईकिल निकल कर इक़बाल के घर की ओर निकल पड़ता है शाम के 6.00 बज चुके थे अमित तेज़ी से साईकिल चला रहा था इक़बाल के घर से 500 मीटर पहले ही एक रेलवे क्रॉसिंग थी जोकि उस समय बंद थी अमित को घबराहट हो रही थी उस ठण्ड में भी उसके पसीने छूट रहे थे उसे पिछली रात की "मंगला" की बातें याद आ रही थी
अमित सोच रहा था कि क्या सच में मंगला उसका इन्तेज़ार कर रही है।
लगभग 40 मिनट बाद रेलवे क्रासिंग खुलता है क्रासिंग पर बहुत जाम लगा हुआ था किसी तरह अमित उस भीड़ से बहार निकलता है और इक़बाल के घर की तरफ बढ़ता है इक़बाल के घर उस दिन थोड़ी भीड थी उसके कमरे से धुआं
निकल रहा था तभी भीड़ को चीरती हुई अमित को एक आवाज सुनाई देती है शायद वो "मंगला" की आवाज थी इतना सुनते ही ।।.......
भाग 5 समाप्त।।
(आगे की कहानी के लिए बने रहिये मेरे साथ)
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