Hello friends my name is Amit Kumar Sagar and I am a government employee, with this platform, I will tell my thoughts, my poems, stories, shayari, jokes, articles, as well as my hobbies.

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रविवार, 30 अगस्त 2020

अगस्त 30, 2020

तन्हाई पर कविता |तन्हाई with amit sagar | तन्हाई क्या है ? | Hindi मेरी तन्हाई और मैं kavita

           तन्हाई क्या है ?|Hindi तन्हाई पर कविता|

                     तन्हाई with amit sagar.


                                            तन्हाई 

                                       loneliness

तन्हाई खुदा का एक नायब तोहफा है।
किसी को कम किसी को जादा है।।
पढ़ाई की चाह हो या मोहब्बत की राह।
तन्हाई को बहुत कम लोगों ने समझ पाया है।।

तन्हाई बढ़ गई तो मुहब्बत का नशा है
तन्हाई कम हो गयी तो दौलत का नशा है।
तन्हाई ही है जो महब्बू को पास लाती है।
तन्हाई ही है जो सपनों को साकार बनाती है।।
तन्हाई ने हमें बहुत सताया है।
और तन्हाई में बहुत रुलाया है।
तन्हाई में जो रोते है ।
वो गम के मरीज होते है।।
इस गम का कोई इलाज नही ।
क्यूंकि तन्हाई में आवाज नही।।

तन्हाई ना होती तो बहुतों की याद ना होती।
इस लिए तन्हाई हर इंशान के हिस्से में आई है।
किसी ने काम तो किसी ने जादा पाई है।
तन्हाई का अपना अलग ही वजूद है ।
इस लिए तन्हाई ने महफ़िल तन्हाई में सजाई है।।
किसी ने हमसे कहा तन्हाई पर लिखो कुछ।
इस लिए मैं और मेरी तन्हाई ने ।
तन्हाई में हमने कलाम चलाई है।।

                      दिनाँक 20 सितंबर 2006     2.50 दोपहर
      

                                                रचना(लेखक)

                                        अमित सागर(गोरखपुरी)


शुक्रवार, 28 अगस्त 2020

अगस्त 28, 2020

नारी पर कविता | क्या है नारी ? Poem on women What is woman?

                              

                               नारी                             

                        नारी तेरी हर बात निराली है ।
                        इस धारा पर तू है सबसे प्यारी।
                        निर्मल ह्रदय का बास है तुझमे।
                        साहस बेमिशाल है तुझमें।।

                       हर मुश्किल से लड़ने वाली।
                       सबके दिलों में बसने वाली।
                       ममता की तो मिशाल है तू।
                       भाइयों का अनमोल उपहार है तू।।

                                    What is woman

                       बेटी तो कमाल है तू।
                       माँ बाप का अरमान है तू
                       बच्चों की प्यारी माँ है तू।
                       शौहर का गुलेगुल्ज़ार है तू।।

                       ये दुनियां सारी तेरी है।
                       खुला आसमां भी तेरा है।
                       उड़ती है तू अब नील गगन में।
                       ब्रह्मांड भी अब तेरा है।।
                       तलवारों से लड़ती थी कभी ।
                       अब कलम की ताकत हाथ में है।
                       पहुंच सकते है पुरुष जहां पर।
                       पहुँची वहां भी अब नारी है।।

                       गर्व हमें है तुझ पर ऐ नारी ।
                       भाग्य सवारें सबके तुमने ऐ नारी।
                       चाह नही है कभी कुछ खुद के लिए।
                       ऐसी है ये प्यारी नारी।
                                          ऐसी है ये प्यारी नारी।।

                      दिनाँक  28 अगस्त 2020    समय 10.30 रात्रि
        

                                                  रचना(लेख़क)
                                          अमित सागर(गोरखपुरी)

बुधवार, 26 अगस्त 2020

अगस्त 26, 2020

हिन्दी कहानी सियाचिन ग्लेशियर, एक फौजी की जुबानी भाग 12 Hindi story siachen glacier

                             हिन्दी कहानी

                 सियाचिन ग्लेशियर,एक फौजी की जुबानी

                      Hindi story siachen glacier

              सियाचिन ग्लेशियर, एक फौजी की जुबानी

(अभी तक आपने इस कहानी में पढ़ा कि किस तरह हम सभी अपनी ट्रेनिंग खत्म करके तीसरी बार मेडिकल चेकअप के लिए पहुंचे थे)

                                     "अब आगे"

हमें ये मालूम हुआ कि हमारे टुकड़ी के एक जवान का  सफर यहीं पर खत्म हो गया है हमें बड़ी तकलीफ हुई और अन्दर से अजीब सी उलझन महसूस हो रही थी उसके बाहर निकलते ही हम उसके करीब गये उसकी आँखों मे आँशु तो नही थे पर लग रहा था कि अभी उसके आंखों से आँशु निकल जाएंगे हमने उससे कुछ नही पूछा हमें सब मालूम हो चुका था कि चेकअप के दौरान उसका ब्लड प्रेशर 190/110 तक पहुच चुकता और अगर उसने सियाचिन ग्लेशियर का सफर किया तो उसकी जान भी जा सकती थी उसने हमसे कुछ नही बोला और वो बैरेक की तरफ चल पड़ा हममे से किसी ने उसे रोका नही, जब हम अपना चेकअप करके अपने बैरेक पहुंचे तो हम सभी ने उसे बहुत समझाया, वो समझ तो रहा पर उसके दिल की तकलीफ को हम अच्छी तरह समझ रहे थे।

अगली सुबह हम सभी एक कतार में सियाचिन कमान्डर के सामने मुखातिब हुए,कमान्डर हमें सियाचिन ग्लेशियर में होने वाली बहुत सारी परेशानियों,और मुश्किलों के साथ साथ वहां होने वाली दिक्कतों के बारे में हमसे disco's की और आखिर में उन्होंने हमें All the best.और Happy journey कहा और jai hind कहकर चले गए।
अब आगे की जो लड़ाई थी वो ज़िन्दगी और मौत की थी
अगर किसी ने इस सफर में लापरवाही की तो ज़िन्दगी सिर्फ चन्द लम्हो की होगी।

अगले दिन हमें उस सफर का इन्तेज़ार था जिसे पूरी दुनिया मे सिर्फ चन्द लोग ही कर पाते है और हमें गर्व था कि उन चन्द लोगों में हम सब भी शामिल थे ये सफर मुश्किलों भरा था पर दिल मे जो खुशी थी उसे लफ्जों में बयां कर पाना शायद थोड़ा मुश्किल था।

अगले दिन से शुरू होने वाले सफर में एक शख्स की दुआओं और मन्नतों ने मुझे जिंदा बचा लिए ।।

                                    भाग 12 समाप्त।।
               (आगे और भी रोचक बातें है जुड़े रहिये मेरे साथ)

सियाचिन ग्लेशियर भाग 13 www.amitsagar85.com/2020/09/13-hindi-story-siachen-glacier.html?m=1

                  दिनाँक  24 अगस्त 2020   समय  9.45 शाम

                                                रचना(लेखक)

                                        अमित सागर(गोरखपुरी)

सोमवार, 24 अगस्त 2020

अगस्त 24, 2020

हमेशा खुश कैसे रहें How to always be happy | हिंदी आर्टिकल खुश कैसे रहें | |हमेशा खुश कैसे रहें | हिंदी आर्टिकल | खुश रहने के तरीके | जीवन पर आर्टिकल |

                    हमेशा खुश कैसे रहें 

How to always be happy all the time


 How to always be happy all the time

हमेशा कैसे खुश रहें

 ज़िन्दगी किसी सर्कस से कम नही है हर मोड़ पर हमें कुछ नया देखने को और सुनने को मिलता ही रहता है और इन सब के बीच में रहा कर खुश रहना भी एक कला है खुश रहने के लिए हर इंशान का अपना अपना तरीका है और मेरी नज़र में खुशी को लेकर एक अलग विचार है

            खुशी क्या है ?

             what is happiness 

क्या आप ऐसा कभी सोचते है कि क्या है खुशी,कैसी दिखती है ये,कहाँ ढूंढे इसे, अगर इस तरह के विचार या सवाल मन में आते है तो आपको खुशी कभी नही मिल सकती। क्योंकि  खुशी का ना तो कोई रंग है और ना ही कोई रूप, ना ही जाती और ना कोई धर्म ,कभी कभी हम ऐसे इंशान की बातें को सुन कर खुश हो जाते है जिसे हम जानते तक नही और कभी हम अपनो की ही बातों  से ही दुखी हो जाते है। इन दोनों पहलुओं में आपने देखा कि खुश रहने के लिए किसी व्यक्ति विशेष की जरूरत है जिसकी बातें हमारे दिल को छू जाती है उसी की बातों से हम खुश हो जातें है ।

  How to always be happy all the time


 "खुश कैसे रहें"

How to be happy


खुश रहने के लिए हमें किसी चमत्कार की ज़रूरत नही है हमें यह खुद महसूस करना होगा कि हम किस तरह से खुश रह सकते है। हमें कैसे खुश  रहना है हम अपने जीवन में कभी कभी इतने जादा व्यस्त हो जाते है कि छोटी छोटी खुशियों को महसूस ही नही कर पाते और हमेशा बड़ी खुशी की तलाश में रहते है हमें ये पता ही नही चलता कि जिन छोटी छोटी खुशियों को हमने महसूस नही किया वो किसी बड़ी खुशी से कम नही थी।
सच कहूं तो खुशी हमें तब मिलती है जब सब कुछ हमारे According होता है पर क्या ये posible है कि हर वक़्त सब कुछ हमारे According ही हो ये तो कभी नही हो सकता।
जब चीजें हमारे अनुसार नही चलती तब हम दुखी हो जाते है लेकिन चीजें आपके मुताबिक हो या ना हो फिर भी खुश कैसे रहे ये ज़रूरी है आईये जानते है कैसे खुश रहा जाये।

  "हमेशा कैसे खुश रहे"

    "How happy always"

 अगर हमें हमेशा खुश रहना है तो सबसे पहले हमें अपने मन से Negetive(नकारात्मक) सोच को बदल कर positive(सकरात्मक) सोच रखनी होगी क्योंकि नकारात्मक  सोच ही है जो आपकी खुशियों को आप से दूर कर देती है आप जितना ज्यादा सकारात्मक (positive) सोच रखेंगे उतना ही जादा आप अपने आपको खुश महसूस कर पाएंगे,आप वही काम कीजिये जो आपको पसंद हो किस काम को करने से आपको ख़ुशी मिलती है वो वही कीजिए ।
            

  How to always be happy all the time

  "खुशी हमारे अन्दर है"

  Happiness lies in us 

अगर हमें खुश रहना है तो हमें किसी से पूछने की ज़रूरत नही है हम कैसे खुश रहें, अगर हमें ये पूछना है तो सिर्फ अपने दिल से पूछना है कि वो कैसे खुश रह सकता है ।
खुशी और दुख, ये सब हमारे अन्दर बिराजमान है और ये सिर्फ हमें ही ढूंढना है कि हमें क्या चाहिए,हमें ये जानने की ज़रूरत है कि हम कब और किन किन बातों से खुश होते हैं। 
हमारे अन्दर सबसे बड़ी कमी ये होती  है कि हम दूसरों के पीछे भागते है और अपनी छोटी छोटी खुशियों को ठोकर मारते जाते है यही कारण है कि खुशियां हमसे बहुत दूर हो जाती है।

     खुशी को कैसे महसूस करें 

        How to feel happy

किसी को हँसता देख जब आपके चेहरे पे खुद बा खुद मुश्कान आ जाये तो ये खुशी है।
जब हम किसी की मदत करने के लिए जल्दी से आगे बढ़ते है उस वक़्त हमें जो filing होती है उसे खुशी कहते है।
जिस काम को करके हमें अच्छा लगता है उसे खुशी कहते है।
बिना बताए किसी भी काम को अपनी मर्जी से कर लेना खुशी है।

      How to always be happy all the time

  Khush kaise raha jaye

 "खुद के लिए भी जियें"

     Live for yourself too

 मेरी मुलाकात एक ऐसे इंशान से हुई जो सारी उम्र दुसरो की खुशियों के लिए जीता रहा और उसकी अपनी खुशी क्या है ये ओ भूल चुका था अखरी वक़्त में उसने एक बात कही थी कि तुम कभी दूसरों से अपनी खुशी की अपेक्छा मत करो और खुद के लिए जियो तुम हमेशा खुश रहोगे।।

             समाप्त।।


       दिनाँक  24 अगस्त 2020   समय  10.00 रात्रि

                        लेखक

                       अमित सागर(सागर गोरखपुरी)


शनिवार, 22 अगस्त 2020

अगस्त 22, 2020

हिन्दी कहानी सियाचिन ग्लेशियर, एक फौजी की जुबानी भाग 11 Hindi story siachen glacier

                                            हिन्दी कहानी

                        सियाचिन ग्लेशियर,फौजी की जुबानी

                                       Siachen glacier


                 सियाचिन ग्लेशियर,एक फौजी की कहानी


             (अभी तक इस कहानी में आप ने पढ़ा की हमारे कुछ साथी 
                  30 फिट के बर्फ की दीवार के फिसल के कैसे बचें)
                                            "अब आगे"

हमारा पूरा सप्ताह टेस्ट में निकलता रहा और बड़ी अच्छी बात ये थी कि हम सभी एक साथ सारे टेस्ट में पास हुए ये ट्रेनिंग हमारे लिए किसी जंग से कम नही थी जब हम सभी को टेस्ट पास होने की खबर मिली तो सच मे लग रहा था कि हमने कोई जंग फतेह कर ली हो हम सभी बहुत खुश थे ।
ये थी हमारी तीसरी चुनौती जिसने हमे तोड़ कर रख दिया था।
इस ट्रेनिंग के दौरान ही मौसम भी बदल चुका था बर्फ बारी बढ़ चुकी थी और ठंड का तो पूछिये ही मत क्या आलम था इस ट्रेंनिग में हमें कभी कभी ऐसा लगा की अब सब कुछ छोड़ कर कहीं भाग जायें, बर्दाश करने की हमारी  छमता पूरी तरह खत्म हो चुकी थी बहुत तकलीफ भरा सफर था ये 
अगली सुबह से एक और चुनौती अपनी बाहें खोले हमारा इन्तेज़ार कर रही थी।
 और वो था हमारा तीसरा मेडिकल चेकअप, ये चेकअप हमारे सारी मेहनत पर पानी फेर देनेवाला था जो भी इस मेडिकल चेकअप में फेल हुआ उसका सफर यहीं खत्म हो जाएगा,और कुछ हुआ भी ऐसा ही था हमारे साथ, हम सभी का मेडिकल चेकअप शुरू हुआ,हमारी धड़कने डर के कारण तेज धड़क रही थी क्योंकि हम बहुत सारी कठिनाईयों और तकलीफों को पार करके यहां तक पहुंचे थे हम सभी चेकअप में फेल नही होना चाहते थे। मेडिकल चेकअप शुरू हुआ।
 हम सब एक कतार में खड़े थे जिसका नम्बर बुलाया जा रहा था वो अन्दर जा रहा था और जो बाहर कतार में खड़े थे वो अपने अपने भगवान को याद कर रहे थे सिर्फ कुछ ही मिनटों में हमारी टुकड़ी का नम्बर बुलाया गया दो ही मिनट हुए थे कि हमें ये मालूम हुआ कि।।.....
      
                                             भाग 11 समाप्त।।
                           (आगे की कहानी के लिए बने रहिये मेरे साथ)

                          दिनाँक 20 अगस्त 2020   समय 2.00 दोपहर

                                       रचना(लेखक)

                               अमित सागर(गोरखपुरी)


गुरुवार, 20 अगस्त 2020

अगस्त 20, 2020

हिन्दी मर्द कविता | Hindi मर्द poems | story mard हिन्दी | amitsagar85.com

                                        हिन्दी कविता

                                                मर्द

                            
शक्ल पर भोलापन दिखता नही।
पर दिल मे सादगी बेशुमार है ।
खूबियां भले ना दिखती हो उसकी हमें।
पर खूबियों का उसमे गुब्बार सा है।।

हर मुश्किलों में हँसना फितरत है उसकी।
हर अदा उसकी खुश मिज़ाज़ है।
देखकर मुश्किलें डर सा जाता है ओ।
पर चेहरे पे उसके, डर का ऐहसास नही।
ये मर्द ही तो है जो सब कुछ सह जाता है।।

थक जाते है कंधे काम से उसके।
फिर भी घर में कभी ना बताता  है ओ।
खुश रखना सबको आदत है उसकी।
पर अपनी हालत कभी ना बताता ओ।।
कलाकार छुपा है उसके अन्दर ।
कई रोल जीवन में वो निभाता है।
माँ का लाडला कभी,बहनों का दुलारा बन जाता है।
भाई का तो गुड फ्रेंड है ओ।
जोरू का गुलाम भी कभी बन जाता है।
ये मर्द ही तो है जो इतने रोल निभाता है ।।

खुशियां ढूंढता ओ खुद मगर।
खुश हूँ मैं ये सबको दिखता है।
तपते बदन में भी भीग के ओ।
अपनो की दवाइयां ओ लाता है।।

देख के ओ अपनो की तकलीफें।
ओ अपने दर्द भी छिपाता है।
ये मर्द ही तो है जो सब कुछ सह जाता है।।
         
                                                 समाप्त।।
                    दिनाँक 18 अगस्त 2020    समय  2.30 दोपहर

                                                     रचना(लेखक)
                                             अमित सागर(गोरखपुरी)

मंगलवार, 18 अगस्त 2020

अगस्त 18, 2020

हिन्दी कहानी सियाचिन ग्लेशियर, एक फौजी जुबानी भाग 10,Siachen glacier

                सियाचिन ग्लेशियर, एक फौजी की जुबानी

                                Siachen glacier

इस ट्रेनिंग में ऐसी बहुत सी मुश्किलें और बहुत सी ऐसी सिखलाई थी जिसने हमें सियाचिन ग्लेशियर में जिंदा रहना सीखा दिया क्योंकि सियाचिन ग्लेशियर इंशान के लिए किसी नरक से काम नही थी और इस नरक में ज़िन्दा रहने के लिए हमें जो ट्रेनिंग दी जा रही थी वो हमारे लिए बहुत ज़रूरी थी।
हमरा दूसरा समाप्त खत्म हो चुका था और आने वाले सप्ताह में बहुत सी चुनौतियां हमारा इंतेज़ार कर रही थी ये हमारा अखरी सप्ताह था और हमे अभी बहुत सी ऐसी परीक्षाओं से गुजरना था, और जो परीक्षा में पास होगा वही आगे की यात्रा तय कर पायेगा और जो फेल हुआ उसे कुछ दिन और ट्रेनिंग करनी पड़ेगी।
तीसरे सप्ताह का पहला दिन ,हमारे दोनों हाथों Ice Axe जूतों में CRAMPON और कंधे पर 16 किलो का रुकसुक बैग लिए हम 30 फिट ऊंचे 90° डिग्री के खड़े बर्फ की दीवार के सामने Chest harness में लगे Caraviner से अपने आपको हुक किये हुए खड़े थे हमें अपने Ice Axe और CRAMPON की मद्दत से उस 30 फिट की खाड़ी दीवार पर चढ़ना था तभी हमारे उस्ताद ने हमसे कहा 4 point  शुरू कर और हम चढ़ने लगे।
 हम दोनों हाथ और पैरों की मद्दत से चढ़ ही रहे थे कि 20 फिट की ऊंचाई पर हमारे दो साथियों के हाथ बर्फ की दीवार से फिसल गई और वो ऊपर से बिल्कुल नीचे ज़मीन पर गिरने ही वाले थे कि हमारे चेस्ट में लगे Chest harness और Caraviner ने उन्हें बचा लिया वो दुबारा से उस बर्फ की दीवार पर चढ़ने लगा ।
समय बीतता रहा और मुश्किलें बढ़ती रही "दिल मे अगर जोश और कुछ करने का जज्बा हो तो रास्ते आसान हो जाते है।।

                                        भाग 10 समाप्त।।
                    (आगे की कहानी के लिए बने रहिये मेरे साथ)

                     दिनाँक 17 अगस्त 2020   समय  8.00 शाम

                                              रचना(लेखक)
                                      अमित सागर(गोरखपुरी)

शनिवार, 15 अगस्त 2020

अगस्त 15, 2020

देश भक्ति कविताएँ,देश भक्ति कविता इन हिन्दी, आओ उन्हें फिर हम याद करें

              देश भक्ति कविताएँ,देश भक्ति कविता इन हिन्दी,

         स्वतंत्रता दिवस की कविता, हिन्दी कविता बच्चों के लिए.

      

                                     हिन्दी देश भक्ति कविता

                                "आओ उन्हें फिर हम याद करें"


आओ उन्हें फिर हम याद करे।
बस उनकी की ही बात करे।
कुर्बान हुए जो वतन की खातिर।
आओ उन्हें हम फिर सलाम करें।।

भूल चुके है बलिदान हम उनका।
क्यूँ ना उन्हें हम फिर याद करे।
बिस्मिल, चंद्रशेखर, भगत सिंह को।
सत सत नमन सौ बार करें।।

बीर अब्दुल हमीद की कुर्बानी।
डॉ भीम राव को भी याद करे।
झाँसी की रानी कहते जिसे हम।
लक्ष्मीबाई को भी याद करें।।
कारगिल युद्ध में शहीदों हुए जो।
उन बीरों की कुर्बानी याद करें।
तिरंगे में जो लिपट के घर गए।
उन्हें नमन सौ बार करें।।

फैहरा दे तिरंगा फिर गगन में।
आओ फिर कुछ ऐसा काम करें।
नम आंखों में खुशियां लिया ।
आओ उन्हें फिर याद करें।।

झुकने ना देंगे तिरंगा फिर कभी ।
आओ मिलके हम संकल्प करें।
नमन करें हर बार उन्हें हम सब।
आओ उन्हें फर हम याद करें।।

                                            समाप्त।।

                दिनाँक 14 अगस्त 2020    समय  10..21 रात्रि

                                           रचना(लेखक)
                                 अमित सागर(गोरखपुरी)

शुक्रवार, 14 अगस्त 2020

अगस्त 14, 2020

हिन्दी कहानी सियाचिन ग्लेशियर, एक फौजी की जुबानी भाग 9 Hindi story siachen glacier

               (सियाचिन ग्लेशियर, सियाचिन क्या है, ग्लेशियर कहा है

               सियाचिन में कैसे रहते है, ग्लेशियर कितना पिघलता है।)


                                        हिन्दी कहानी 

                 सियाचिन ग्लेशियर,एक फौजी की जुबानी

                                             भाग 9

पहुंचते ही हमने अपना स्टोप जलाया हमने गुनगुना पानी गर्म किया और उसमें अपने हाथ और पैरों डाल कर कुछ देर बैठे रहे, 2.30 मिनट हो चुके थे और हमे 3.15 मिनट पर शाम की ट्रेनिंग के लिए जाना था हमने दोपहर का खाना खाया और ट्रेनिंग के लिए चल पड़े।
3 सप्ताह की ट्रेनिंग में पहला सप्ताह तो ऐसे ही चलता रहा लेकिन आने वाले दो सप्ताह में जो ट्रेनिंग हुई थी हमारी उसने हम सभी के 5 kg वजन घटा दिये थे।
दूसरा सप्ताह पहला दिन हम 5 किलोमीटर की रनिंग करने के बाद हमारी अगली क्लास two points की ट्रेनिंग करनी थी (इस ट्रेनिंग में हमे 45°के Ice wall पर अपने पैर के पंजों की मद्दत से चढ़ना था।)
हमने अपने पैरों में CRAMPON( बर्फ पे चलने वाला यंत्र)
जूते के ऊपर पहना सिर पर हेलमेट हाथों में Ice Axe और कंधे पर 16 kg आ रुकसुक बैग उठाया और हम ice wall के सामने खड़े हो गए तभी हमारे उस्ताद ने कहा Two point के लिए position तैयार,हमने position बनाई और 45°के बर्फ की दीवार पर चढ़ने का अभ्यास करने लगे हम जूते में लगे नुकीले यंत्र से चढ़ने के लिए हम अपने पंजे को ice wall(बर्फ की दीवार)पर जोर से मार रहे थे।
 लगभग 5 घण्टे तक हम इसी का अभ्यास करते रहे,पैरों में पसीने की चिपचिपाहट सी महसूस हो रही थी हम बिलकुल थक चुके थे पैर और हाथ सुन्न हो रहे थे और हमे अपनी गाड़ी तक भी पहुंचना था।
किसी तरह हम अपने बैरेक तक पहुचे और हमने अपना जूता निकल, हमारे मोजे खून से लाल हो चुके थे और अंगूठा में सूजन थी हमने गुनगुने पानी मे अपने पैरों को डूब दिया,2.15 मिनट हो चुके थे और हमे शाम की क्लास के लिए भी जाना था (ऐसी बहुत सी मुश्किलें थी इस ट्रेनिंग में पर हम हरे नही) और हम सभी टेस्ट पास होते गए।
इसी तरह हमारे दिन निकल रहे थे और चुनौतियां बढ़ रही  थी ।।    

                                        भाग 9 समाप्त।।
                    (आगे की कहानी के लिए बने रहिये मेरे साथ)

                 दिनाँक 12 अगस्त 2020     समय  11 रात्रि
                                                                                                        रचना(लेखक)

                                  अमित सागर(गोरखपुरी)


बुधवार, 12 अगस्त 2020

अगस्त 12, 2020

हिन्दी कहानी सियाचिन ग्लेशियर, एक फौजी की जुबानी भाग 8 Hindi story siachen glacier

                                       हिन्दी कहानी

                 सियाचिन ग्लेशियर,एक फौजी की जुबानी

                                  Siachen glacier

                                             भाग 8

सुबह 5.30 बजे थे हम सभी ने अपने कंधे पर 14 kg का रुकसुक बैग उठा रखा था हाथ मे Ice Axe और सिर पर हेलमेट लगा रखा था तापमान -30℃ था अब हमें 5 किलोमीटर तक दौडना था उस वक़्त हमने तक़रीबन 25 किलो वजन उठा रखा था हमने दौड़ना शुरू किया सिर्फ 300 मीटर ही दौड़े थे कि हमारी धड़कने तेज़ होने लगी थी हमने चलना शुरू कर दिया सभी टुकड़ियों की यही हालत थी पूरे 5 किलोमीटर तक हमारी हालत ऐसे ही बनी हुई थी।
ये तो बस शुरुआत थी पिक्चर अभी बाकी थी PT के बाद हमने अपना जूता निकाला ,और अपने मोजे(socks) बदले जो कि भीग चुके थे हम ब्रेफास्ट कर ही रहे थे कि तभी अगली परेड के लिए सीटी बाजी हमने भाग के अपना 14 किलो का बैग अपने कंधे पर उठाया और अगली परेड के लिए चल पड़े, ठंड बहुत थी हवा का तो मत पूछिए 110 किलो/घण्टे की रफ्तार से चल रही थी और इन सबके बीच हमारी ट्रेनिंग भी चल रही थी हमारे कंधे अब दर्द करने लगे थे पिछले 5 घंटो से न तो हम बैठे थे और नही ही हमारे बैग कंधो से नीचे उतरे थे।
1लीटर पानी हमारे बैग में था ओ भी ख़त्म हो चुका था ट्रेनिग खत्म होने में अभी भी 30 मिनट बाकी थी पैरों की उंगलियां ठंडी हो चुकी थी हम बिल्कुल थक चुके थे 30 मिनट बाद हमारी ट्रेनिंग खत्म हुई शरीर मे जान नही थी कि हम 1 किलोमीटर पैदल चल के पार्किंग ग्राउंड तक पहुंचे, पर जाना तो पड़ेगा, अगर नही गये तो गाड़ी हमे छोड़ के चली जायेगी और फिर हमें 5 किलोमीटर पैदल जाना पड़ेगा
हमे भूख भी बहुत तेज लगी थी अगर नही पहुचे तो दोपहर के खाना भी नही मिलेगा,इस लिए हम जल्दी जल्दी चलने लगे और जाके गाड़ी में बैठ गए उस वक़्त 1.45 मिनट हुए थे जब हम अपने बैरेक में पहुंचे।। 

                                                भाग 8 समाप्त।।
                             (आगे की कहानी के लिए बने रहिये मेरे साथ)

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                            दिनाँक 10 अगस्त 2020   समय। 11.30 सुबह

                                                  रचना(लेखक)

                                          अमित सागर(गोरखपुरी)


सोमवार, 10 अगस्त 2020

अगस्त 10, 2020

हिन्दी कहानी सियाचिन ग्लेशियर, एक फौजी की जुबानी भाग 7 Hindi story siachen glacier

                                         हिन्दी कहानी

                 सियाचिन ग्लेशियर एक फौजी की जुबानी                            

अगले दिन सुबह 4.30 मिनट हुए थे ट्रेनिग का पहला दिन था हम फ्रेश हुए चाये पी पैरों में 4.50 Kg का जूता पहना और कंधे पर अपना ट्रेनिग बैग(रुकसुक) उठाया जिसका वजन 14 Kg था हाथों में Ice Axe और सिर पर हेलमेट लगाकर हम ट्रेनिंग ऐरिया की तरफ चल दिए रास्ते में बर्फ थी जिससे हमें चलने में तकलीफ हो रही थी और हम दो मिनट लेट हो चुके थे हम पहुंचे तो सभी लाइनअप हो चुके थे हम सभी दौड़ के अपने टुकड़ी में मिलना चाहा पर उस्ताद ने हमें रोक लिया और हमें गुठने पर बिठा दिया उस वक़्त जोर की बर्फ बरी हो रही थी जिसके कारण हमारे बैग के ऊपर लगभग 1 फिट तक बर्फ गिर चुकी थी हम तबतक गुठने पर बैठे रहे जब तक 120 लोगों की गिनती ख़त्म नहीं हुई तबतक 20 मिनट बीत चुके थे तभी उस्ताद ने कहा मिलजाओ अपनी टुकड़ी में, हम उठे और भाग के अपनी टुकड़ी में मिल गए।
ट्रेनिंग के पहले दिन हमारा इंट्रोडक्शन होना था हम क्लास रूम में जाके बैठ गए( यही वो वक़्त था जब हम पुरे ट्रेनिंग ने पहली बार बैठे थे।) डॉक्टर की क्लास थी डॉक्टर ने जब हमें वहां पे होने वाली बीमारियों के बारे में बताया तो हमारे पसीने छूट गए (1- चिल्बिलिंग, 2- हेको, 3-हेप्पो,4-AMS)
उन्होंने ने कहा अगर ज़िन्दा रहना है तो  खुद की देख भाल खुद से ज़्यादा करनी पड़ेगी और नहीं की तो शरीर का कोई भी अंग तुम्हे खोना पड़ सकता है या फिर तुम्हारी जान भी जा सकती है किसी भी हालत में ट्रेनिंग के दौरान तुम्हे मुँह से मास्क,आँखों से चश्मा और हाथों से हैण्डग्लब्स नहीं उतारना है फिर उन्होंने कहा कोई शक हमने कहा No Sir और फिर अगले दिन।।...
               
                                       भाग 7 समाप्त।।
                 (आगे की कहानी के लिए बने रहिये मेरे साथ)
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                  दिनाँक 6 अगस्त 2020       समय  9.30 सुबह

                                                  रचना(लेखक)

                                          अमित सागर(गोरखपरी)

   

शनिवार, 8 अगस्त 2020

अगस्त 08, 2020

हिन्दी कहानी सियाचिन ग्लेशियर, एक फौजी की जुबानी भाग 6 Hindi Story Siachen Glacier

                                      हिन्दी कहानी

                सियाचिन ग्लेशियर, एक फौजी की जुबानी

                                 Siachen Glacier

                                            भाग 6

हमारे उस्ताद हमारा ही इन्तेज़ार कर रहे थे और उन्होंने कहा   शाम के इस Tea party में  सियाचिन ट्रेनिंग ऐरिया में आपका सभी स्वागत है उस्ताद ने कहा तुम सभी अपना गिलास उधर किनारे रख दो और हम सभी ने अपना गिलास बताई हुई जगह पे रख दी उसके बाद जो Tea party हुई है वो हमें पूरी ज़िन्दगी याद रहेगी। तक़रीबन 20 मिनट तक वो  दो दो सौ मीटर का चक्कर हमसे लगवाते रहे उस वक़्त तापमान -35 ℃ तक था है ऑक्सीजन रेट 9.45 था हमारे पैरों में 4.50 Kg का इस्कार्पा शूज़ हमने पहन रखा था हमारी सांसे जोर जोर फुल रही थी ऐसा लग रहा था जैसे हमारी छाती फट जायेगी।
हमारे होंठ सफ़ेद हो रहे थे तभी उन्होंने हमें रोका और कहा नीचे जमीन पर बैठ जाओ हम बैठे ही थे की तभी उस्ताद ने तेज़ आवाज़ में कहा आगे की तरफ रोलिंग शुरू कर और हम बर्फ के ऊपर रोलिंग करने लगे 15 मिनट तक हम रोलिंग फिर उसके बाद कोहनियों के बल हमें 10 मिनट तक क्रोलिंग करते रहे,-35℃ में भी हमारे कपडे पसीने से भीग गये थे तभी उस्ताद ने हम सबको खड़ा किया और 200 मीटर same चक्कर Go कहा, हम भागे और आके खड़े हो गए तकरीबन 1 घण्टे तक हमारी अच्छी तरीके से खातिरदारी की गयी।
अब हमें Tea Party का इन्तेज़ार था हमें भूख भी लग रही थी और हम एक दूसरे को देख रहे थे तभी उस्ताद की आवाज आई उन्होंने का आप सभी का दुनिया के सबसे ऊंचे बैटल स्कूल में स्वागत है इतना कहते ही उन्होंने हमें अलग अलग टुकड़ियों में बाँट दिया हर टुकड़ी में 12 से 14 जवान थे हम सभी एक ही टुकड़ी में थे, हमें अभी भी Tea Party का इन्तेज़ार था तभी उस्ताद ने जाते वक़्त कहा Tea Party कैसी लगी और कहा जाते समय अपना गिलास साथ ले जाना हम समझ गये थी की 1एक घंटे की जो खातिरदारी हुई है हमारी वही Tea Party थी हमें अपनी गिलास उठाई और बैरक की ओर चल दिए।।
          
               
                                         भाग 6 समाप्त।।
                   (आगे की कहानी के लिए बने रहिये मेरे साथ)

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             दिनाँक 6 अगस्त 2020    समय  8.00 शाम

                                       रचना(लेखक)

                               अमित सागर(गोरखपरी)

गुरुवार, 6 अगस्त 2020

अगस्त 06, 2020

हिन्दी कहानी सियाचिन ग्लेशियर, एक फौजी की जुबानी भाग 5 Hindi Story Siachen Glacier

                                        हिन्दी कहानी 

                   सियाचिन ग्लेशियर Siachen Glacier

                                            भाग 5

  हम अपना सामान लेके अपने बैरेक में चले गए, वहां बुखारी(रूम हीटर) जल रही थी जिसके कारण बैरेक थोड़ा गर्म था हम सभी ने गुनगुने पानी में अपने हाथों और पैरों को उसमे डूबा दिया और कुछ ही मिनटों में हमें आराम मिल गया हमने रात का खाना खाया और सो गए।
हमें वहां के मौसम में ढलने के लिए अगले दो दिनों तक हमें पूरी तरह आराम करना था और दो दिनों के बाद हमें 5 दिनों का मेडिकल चेकअप भी करना था जो मेडिकल चेकअप में फिट होगा वही ट्रेंनिग कर पायेगा,5 दिनों बाद हमारा मेडिकल चेकअप सुर हुआ और हम सब फिट भी हुए ,ये थी   सियाचिन पोस्ट पहुचने से पहले की हमारी दूसरी चुनौती ।
अगले दिन से एक और चुनौती हमारा इन्तेज़ार कर रही थी 
और वो थी हमारी ट्रेनिंग।
मेडिकल चेकअप के बाद हमने दोपहर का खाना खाया  और हमने अपने स्लीपिंग बैग में पैर डालकर आराम करने ही वाले ही थे कि तभी हमें अचानक खबर मिली की शाम को 4.00 बजे Tea party के लिए ट्रेनिंग ऐरिया में अपना गिलास साथ लेके जाना है हम बहुत खुश हुए ।
उस दिन ठण्ड भी कुछ जादा थी शाम के 3.15 मिनट हो चुके थे और हमें 4.00 बजे पहुचना भी था सभी को ट्रेनिगं ड्रेस में भी बुलाया गया था हम सभी ने अपना ड्रेस पहना और हाथों में Ice Axe(ग्लेशिया में चढ़ने वाला यंत्र)  और पानी का बोतल लिया और हम ट्रेनिग ऐरिया की ओर चल पड़े, हमारे बैरेक से ट्रेनिंग ऐरिया की दूरी लगभग 700 मीटर पर थी शाम के 3.55 मिनट हुए थे जब हम ट्रेनिंग ऐरिया पहुंचे थे।

                                   भाग 5 समाप्त

             (आगे की कहानी के लिए बने रहिये मेरे साथ,)

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           दिनाँक 3 अगस्त 2020   समय 3.55 शाम

                    

                                  रचना(लेखक)

                          अमित सागर(गोरखपरी)

मंगलवार, 4 अगस्त 2020

अगस्त 04, 2020

हिन्दी कहानी सियाचिन ग्लेशियर, एक फौजी की जुबानी भाग 4 Hindi story sachin Glacier

                                      हिन्दी कहानी

                 सियाचिन ग्लेशियर,एक फौजी की जुबानी

                                 Siachen glacier

                                           भाग 4

अगले दिन सुबह 5.30 मिनट हुए थे तापमान -25℃ था हम सभी उठे फ्रेश हुए और नास्ता किया फिर अपने पूरे डोकोमेन्ट के साथ हम MI ROOM पहुचे, ये हमारा दूसरा दिन था यहाँ पे मोबाइल  नेटवर्क बहुत काम था और हम सभी में से किसी ने अपने घर पर ये नहीं बताया था कि हम सियाचिन पोस्ट तैनाती के लिए जा रहे है।
डॉक्टर MI ROOM में आ चुके थे और उस दिन से हमारा  6 दिनों तक मेडिकल चेकअप होना था ।
हमें एक एक करके कमरे में बुलाया जा रहा था  वहाँ की ऊंचाई जादा होने के कारण हम सभी का ब्लडप्रेशर जादा आ रहा था डॉक्टर में हमसे कहा पुरे दिन में कम से कम 5 लीटर पानी पीना होगा तुम सभी को हमने कहा Yes Sir, ये मेडिकल चेकअप 6 दिनों तक चलने के बाद हमें मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट दिया गया , अगले दिन हमें वहां से दुनियां के सबसे ऊंचे बैटल स्कूल भेजा गया, हमें लगभग 150 किलोमीटर का सफर तय करना था हम आगे बढ़ र6उहे थे 150 किलोमीटर दूरी हमने 10 घंटो में पूरी की,इसके बाद का नज़रा देखने लायक था।
शाम के 7 बज चुके थे जब हम दुनियां के सबसे ऊंचे बैटल स्कूल पहुचे,चारो तरफ बर्क की चादर बिछी हुई थी उस वक़्त वहां बर्फबारी शुरू हो चुकी थी और हवा की रफ़्तार 120 किलोमीटर प्रति घंटे से चल रही थी तभी मुख्यद्वार पर लगे बोर्ड पर हमारी नज़र पड़ी,  उस पर लिखा था कि "दुनियां के सबसे ऊंचे बैटल स्कूल में आपका स्वागत है" 
उस वक़्त वहां तापमान -35℃ था हमारे हाथों और पैरों की पुंगलियां सुन्न पड़ चुकी थी और हवा की रफ़्तार से चेहरे और नाक में जलन हो रही थी ।।

                             भाग 4 समाप्त

       (आगे की कहानी के लिए बने रहिये मेरे साथ)




      दिनाँक 3 जुलाई 2020  समय 11.00 सुबह
                             रचना(लेखक)
                     अमित सागर(गोरखपुरी)
    
           

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