सियाचिन ग्लेशियर, एक फौजी की जुबानी
Siachen glacier
इस ट्रेनिंग में ऐसी बहुत सी मुश्किलें और बहुत सी ऐसी सिखलाई थी जिसने हमें सियाचिन ग्लेशियर में जिंदा रहना सीखा दिया क्योंकि सियाचिन ग्लेशियर इंशान के लिए किसी नरक से काम नही थी और इस नरक में ज़िन्दा रहने के लिए हमें जो ट्रेनिंग दी जा रही थी वो हमारे लिए बहुत ज़रूरी थी।
हमरा दूसरा समाप्त खत्म हो चुका था और आने वाले सप्ताह में बहुत सी चुनौतियां हमारा इंतेज़ार कर रही थी ये हमारा अखरी सप्ताह था और हमे अभी बहुत सी ऐसी परीक्षाओं से गुजरना था, और जो परीक्षा में पास होगा वही आगे की यात्रा तय कर पायेगा और जो फेल हुआ उसे कुछ दिन और ट्रेनिंग करनी पड़ेगी।
तीसरे सप्ताह का पहला दिन ,हमारे दोनों हाथों Ice Axe जूतों में CRAMPON और कंधे पर 16 किलो का रुकसुक बैग लिए हम 30 फिट ऊंचे 90° डिग्री के खड़े बर्फ की दीवार के सामने Chest harness में लगे Caraviner से अपने आपको हुक किये हुए खड़े थे हमें अपने Ice Axe और CRAMPON की मद्दत से उस 30 फिट की खाड़ी दीवार पर चढ़ना था तभी हमारे उस्ताद ने हमसे कहा 4 point शुरू कर और हम चढ़ने लगे।
हम दोनों हाथ और पैरों की मद्दत से चढ़ ही रहे थे कि 20 फिट की ऊंचाई पर हमारे दो साथियों के हाथ बर्फ की दीवार से फिसल गई और वो ऊपर से बिल्कुल नीचे ज़मीन पर गिरने ही वाले थे कि हमारे चेस्ट में लगे Chest harness और Caraviner ने उन्हें बचा लिया वो दुबारा से उस बर्फ की दीवार पर चढ़ने लगा ।
समय बीतता रहा और मुश्किलें बढ़ती रही "दिल मे अगर जोश और कुछ करने का जज्बा हो तो रास्ते आसान हो जाते है।।
भाग 10 समाप्त।।
(आगे की कहानी के लिए बने रहिये मेरे साथ)
दिनाँक 17 अगस्त 2020 समय 8.00 शाम
रचना(लेखक)
अमित सागर(गोरखपुरी)
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