मैं जन्मा जिस तरह उस तरह मरना नही चाहता हूँ।
मैं लेखक हूँ सियाही से खुद की उम्र लिखना चाहता हूं।
खुद के ख्वाहिशों के लिए अब वक़्त नही रहा मेरे पास।
अपने कलम से मैं अपनी तकदीर लिखना चाहता हूँ।।
ख्वाब लिखना चाहता हूँ अरमान लिखना चाहता हूँ।
कोरे कागज पर नई पहचान लिखना चाहता हूँ।
खुद के ख्वाहिशों के लिए अब वक़्त नही रहा मेरे पास।
अपने कलम से मैं अपनी तकदीर लिखना चाहता हूँ।।
किसी के लफ्जों की रवानी तो किसी का ख्वाब लिखना चाहता हूँ।
हर किसी के दिल में उठे जज्बात लिखना चाहता हूँ।
खुद के ख्वाहिशों के लिए अब वक़्त नही रहा मेरे पास।
अपने कलम से मैं अपनी तकदीर लिखना चाहता हूँ।।
अपनी लिखे कलाम को लोगो मे पढ़ना चाहता हूँ।
तुम्हारी अनकहीं बातों को अपनी सोच से लिखना चाहता हूँ।
खुद के ख्वाहिशों के लिए अब वक़्त नही रहा मेरे पास।
अपने कलम से मैं अपनी तकदीर लिखना चाहता हूँ।।
Writer & poet
Sagar Gorakhpuri
19 Feb 2023
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