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सोमवार, 29 जून 2020

जून 29, 2020

हिन्दी कहानी घुँघट(अनदेखा रिश्ता) भाग 1Veil (Undiscovered Relationship)

                           हिन्दी कहानी

                     घूँघट(अनदेखा रिश्ता)

   Veil (Undiscovered Relationship)

                          भाग 1

21नवम्बर 1998 ,स्थान अहमदाबाद रेलवे स्टेशन  (गुजरात) शाम के 7 बजे थे और उस दिन ठण्ड कुछ जादा थी चारो तरफ कोहरा छाया हुआ था पेलेटफार्म नम्बर 2 और 3 आमने सामने थे अहमदाबाद से होकर मुम्बई को जाने वाली ट्रेन 1.30 मिनट की देरी से चल रही थी और वो कुछ ही मिनट में पेलेटफार्म नम्बर 2 पर आ रही थी और पेलेटफार्म नम्बर 3 पर मुम्बई से चल कर भुज को जाने वाली  ट्रेन का आगमन होने वाला था।
दोनो प्लेटफार्म के बीच में एक बेंच थी उस पर एक दुल्हन बैठी हुई थी  जिसकी नाम" रोशनी" था  उचाई तक़रीबन 5 फिट 7 इंच होगी, रंग कुछ सांवला था उसने लाल रंग की साडी पहन रखी थी और लम्बा सा घूँघट किये हुए अपने पति की बातें सुन रही थी जिसका नाम "अंकित" था पति शायद पत्नी से  कुछ कह रहा था  इन दोनों की शादी को केवल 36 घंटे ही हुए थे। और वो अहमदाबाद से मुंबई अपने बुआ जी के घर जा रहे थे पति का रंग भी सांवला था और वो अपनी पत्नी से थोड़ा लंबा था उसने अपनी पत्नी से कुछ कहा और वो कहीं चला गया।
स्टेशन पर ठण्ड बढ़ने लगी थी और पेलेटफार्म पर घना कोहरा छा गया,कुछ ही मिनट में एक और शादीशुदा जोड़ी कोहरे से निकलती हुई दिखी, लाल रंग की साड़ी में लंबा सा घूँघट किये हुए अपने पति के साथ अपना सारा सामान लिए हुए, बेंच की ओर बढ़ी और जाके बेंच पर बैठ गयी, दोनों की लम्बाई एक जैसी थी और दोनों का रंग गोरा था लड़की काम नाम "रचना"और लड़के का रोहन था और वो अहमदाबाद से भुज (गुजरात)जा रहे थे।

लड़के ने अपनी पत्नी से कुछ बोला और वहां से चला  गया। दोनों दुल्हन पेलेटफार्म नम्बर 2 की तरफ घूँघट करके 10 मीटर की दुरी पर बैठी थी, और दोनों के पति शायद पानी की बोतल और कुछ  खाने के लिए लेने गये थे तभी दोनों ट्रेने पेलेटफार्म नम्बर 2 और 3 पर आ चुकी थी और सिर्फ 2 मिनट का स्टॉप था और 1 मिनट बीत चुका था।..….

                            भाग 1 समाप्त।।

      (आगे की कहानी के लिए बने रहिये मेरे साथ)

        दिनाँक 29 जून 2020   समय 10.30 सुबह

                                 लेखक(रचना)

                        अमित सागर(गोरखपुरी)


                           


शनिवार, 27 जून 2020

जून 27, 2020

हिन्दी कहानी साहस,हिम्मत(एक सोल्जर की कहानी) Courage ,फौजी की कहानी

                     हिन्दी कहानी

    साहस/हिम्मत(एक सोल्जर की कहानी)

सुबह के 2.45 का समय था तारीख 18 जून 2014 ,दिन बुधवार  आसमान बिलकुल काला ,स्थान आर्मी कैम्प,जम्मू कश्मीर।

 सभी जवान अपने बैरक में गहरी नींद में सो रहे थे और रात्रि प्रहरी ड्यूटी पोस्ट पर चौकस खड़ा था अचानक बैरक की लाइट जल जाती है और अफरा तफरी मच जाती है ।

किसी को कुछ पता नहीं था सिर्फ उनसे इतना ही कहा गया था कि 5 मिनट में पूरे एकुपमेंट के साथ बहार मिलें और सभी 4.30सेकेण्ड में बहार थे, सभी एक दूसरे को देख रहे थे पर किसी को कुछ पता नहीं था तभी कंपनी कमान्डर का आगमन होता है कम्पनी कमान्डर पुरे एकुपमेंट के साथ  हमारे सामने खड़े थे।

कम्पनी कमान्डर आते ही बोले क्या आप सभी को पता है की हम इतनी रात में  यहाँ किस लिए  इकठ्ठा हुए है।सभी ने कहा No Sir, तभी कम्पनी कमान्डर उन्हें जानकारी देते है, उन्होंने कहा की हमारे "A" कंपनी को हाई कमान से जानकारी मिली है कि यहाँ से 5 किलोमीटर की दुरी पर  पिरागली गांव  है गावं में कुछ आतंकबंदियों ने मज़ीद अहमद के घर को कैप्चर कर अपना ठिकाना बना रखा है और हमें सर्च ऑपरेशन कर उन्हें ज़िंदा पकड़ना है कमान्डर ने कहा कोई शक,सबने कहा No Sir और वो चल पड़े ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए।

उस सेक्सन में 1अधिकारी ,1सूबेदार और 10 जवान थे सबसे आगे( हवलदार ) रजनीश उसे पीछे( सिपाही) योगेंद्र और फिर (मेजर) कर्मवीर और इनके पीछे 5 जवान और फिर (सूबेदार) मलखान सिंह और इनके पीछे (सिपाही) देवेशबाबु,नागेंद्र,और अन्त में रमेश ।

सभी एक कतार में 10 मीटर का फासला बना के आगे बढ़ रहे थे सुबह के 3.20 का समय हो रहा था चारो तरफ सन्नाटा था केवल झींगुर की आवाज सुनाई दे रही थी और वो तक़रीबन 3 किलोमीटर तक आ चुके थे आगे क्या होने वाला था कुछ खबर नहीं थी बस अपने मकसद को अंजाम के लिए आगे बढ़ रहे थे।

अचानक 4 किलोमीटर पे ही उनके दोनों छोर से तीन तीन के गुच्छे में ब्रस्ट फायर आने लगी उन्हें कुछ समझ नहीं आया,वो सभी ज़मीन पर कोहनियों के ऊपर चलने लगे और पत्थरों का सहारा लेके आड़ ली,फिर गोली का जबाब गोलियों से देते रहे अंधरे के कारण आपसी ताल मेल नहीं हो पा रहा था।

शायद अतंबादियों को सेना के आने की खबर मिल चुकी थी और वो हथियारों से पूरी तरह लैस थे और वो सभी अम्बूस लगा के सेना का इंतज़ार कर रहे थे।

तक़रीबन 20 मिनट तक फायरिंग चलती रही  इस फायरिंग में सेना के 9 जवान और सूबेदार मलखान सिंह  अपनी जान गवा बैठे थे और मेजर कर्मवीर को सीने में 2 गोलियां लग चुकी थी और अब केवल (हवलदार) रजनीश ही पूरे सेक्सन में बचे थे और मेजर की सांसे थोड़ी चल रही थी।

(हवलदार) रजनीश दुश्मनो से लड़ते हुए 12 आतंकवादी को अकेले ही मार गिराया,अचानक उनकी गोलियां ख़त्म हो गयी। वो कोहनी पे चल के मेजर के पास राइफल लेने के लिए पहुचा ही था कि 2 गोलियाँ उनके पैरों को चीरते हुए निकल गयी खून बहुत तेज़ बह रहा था और दर्द बढ़ रही थी लेकिन हवलदार में साहस की कोई कमी नहीं थी।

गोली लगने के बाद भी वो आतंकवादियों से लड़ते रहे तक़रीबन 2 घंटे अकेले लड़के 20 अतंकवादियों को मर गिराया  फायरिंग बंद हो चुकी थी हवलदार के पैरों से काफी खून निकल चुका था फिर भी वो हिम्मत करके  मेजर की ओऱ बढ़ा,पास पंहुचा तो तो देखा की मेजर की सांसे बंद हो चुकी थी अब वो अकेला था चारो तरफ सिर्फ लाशें ही लाशें थी फिर भी वो हिम्मत नहीं हारा और आगे बढ़के रेडियो सेट तक पंहुचा और उसने "A" कम्पनी में सुचना दी और वो बेहोश हो गया।

जब उसे होस आया तो वो आर्मी हॉस्पिटल में था उसका एक पैर कट चूका था।

उसके इस साहस और बलिदान के लिए (हवलदार) रजनीश को सेना मैडल से नवाजा गया।

और शाहिदओं को सैनिक सम्मान के साथ उन्हें आखरी सलामी दी गयी।।

                                   समाप्त।।


इस कहानी से हमने यही सीखा की अगर हममे साहस हो तो बड़ी सी बड़ी चुनैती का सामना हम ज़रूर  कर सकतें है।।

        दिनाँक 27 जून 2020  समय 11.15 सुबह

                              रचना(लेखक)

                       अमित सागर (गोरखपुरी)


                         English translate


            Courage (Story of a Soldier)

 The time of 2.45 in the morning was the date June 18, 2014, the day Wednesday was completely black, the location Army Camp, Jammu Kashmir.

 All the soldiers were sleeping deeply in their barracks and the night guard stood watchful at the duty post, suddenly the light of the barracks lit up and the chaos broke.

 Nobody knew anything, they were told that they should go out in full time in 5 minutes and all were out in 4.30 seconds, all were looking at each other, but no one knew anything, then the arrival of the company commander  It happens that the company commander was standing in front of us with the entire agreement.

 As soon as the company commander came, you said that you all know what we have gathered here in such a night. Everyone said No Sir, then the company commander informs them, they said that our "A" company has information from the high command.  It is found that in the village of Piragali, 5 km from here, some terrorists have captured Mazid Ahmed's house and have kept their hideout and we have to conduct a search operation and capture them alive. The commander said no doubt, everyone said No Sir and that  To carry out the operation.

 In that Saxon, there were 1 officer, 1 Subedar and 10 Jawans in front (Havildar) Rajneesh behind him (Soldier) Yogendra and then (Major) Karmaveer and 5 Jawans behind them and then (Subedar) Malkhan Singh and behind them (Soldier) Deveshbabu, Nagendra,  And finally Ramesh.

 All were moving in a queue of 10 meters distance, it was 3.20 in the morning, there was silence all around, only the sound of the beet was heard and they had come for about 3 kilometers and what was going to happen was some news.  Was not just moving forward to execute his cause.

 Suddenly, at 4 kilometers, a three-part cluster of fire started coming from both of their ends, they did not understand anything, they all started walking on the ground on top of the elbows and took cover with the help of stones, then answering the bullet with the darkness.  Due to lack of mutual coordination.

 Probably, the ambassadors had received news of the arrival of the army and they were fully armed with weapons and all of them were waiting for the army.

 Firing continued for almost 20 minutes, in this firing, 9 soldiers of the army and Subedar Malkhan Singh had lost their lives and Major Karmaveer had been hit by two chests by chest and now only (Havildar) Rajneesh was left in full sex and Major's  It was a little late.

 (Havildar) Rajneesh single-handedly killed 12 militants while fighting enemies, suddenly their bullets were exhausted.  He reached at the elbow to the Major to take the rifle that 2 bullets came out of his legs and the blood was flowing very fast and pain was increasing but there was no lack of courage in the sergeant.

 Even after being shot, he continued to fight the terrorists for about 2 hours. The boy alone killed 20 terrorists. The firing had stopped, the havildar had a lot of blood coming out of his feet, yet he dared to raise the head of the Major, and saw if he reached.  Major's breath was closed, now he was alone, there were only dead bodies, yet he did not lose courage and went ahead to the radio set and he informed "A" company and he fainted.

 When he got hos, he was in the army hospital, he had a leg amputated.


 For this courage and sacrifice (Havildar) Rajneesh was awarded the army medal.


 And Shahid was given the last salute with military honors.


                                    The End..

 This is what we learned from this story that if we have courage, then we can definitely face big challenges.


         Date 27 June 2020 Time 11.15 AM

Composition(Author)

                 Amit Sagar (Gorakhpuri)


बुधवार, 24 जून 2020

जून 24, 2020

हिन्दी कविता बाल Hair

                               बाल Hair


हवाओं में क्या खूब लहराते है।

चेहरे की खूब खूबसूरती ये बढ़ाते है।

मखमली अहसास है इनकी अदाओं में।

जिधर हाथ लगाओ उधर बिखर जाते है।।

काले दिखतें  है घटाओं की तरह।

सिल्क जैसे ये सब मुलायम है ।

तारीफें करता है हर कोई इनकी।

इनकी अदाएं बे हिसाब है।।

सेवा ये खूब करवाते है हमसे।

तेल, शैम्पू  हमसे लगवाते ये।

कुछ कमी हो इनकी सेवा में अगर।

बिन कुछ कहे चल देते है ये।।

गुस्सा बहुत ख़राब है इनका।

गुस्से में सफ़ेद हो जाते ये।

थोड़ा भी ignor करो तो।

सिर को उजड़ा चमन बनाते ये।।

हर मौसम से लड़ते है ये।

फिर भी कुछ ना कहते ये।

हर शख्स की शान है ये।

हर दिल का अरमान है ये।।

 

ये कोई और नहीं है जनाब ये तो हमारे बाल है😊


        दिनाँक 24 जून 2020   समय 9.30 शाम

                               रचना (लेखक) 

                         अमित सागर (गोरखपुरी)


                          English translate


                                    HAIR

What a great wave in the winds

 They enhance the beauty of the face

 Velvet realizes in their style

 Wherever you place your hand, you fall apart.

 Black looks like subtracts.

 It is all soft like silk.

 Everyone praises him.

 Their style is reckless.

 They make us do a lot of service.

 We got oil, shampoo applied to us.

 If there is some deficiency in their service.

 They go without saying anything.

 Their anger is very bad.

 They would turn white in anger.

 Ignore even a little.

 These make the head a desolate chaman.

 They fight every season.

 Even then they do not say anything.

 This is the pride of every person.

 This is the desire of every heart.

 

 This is no more, this is our hair😊


      DATE. 24 jun 2020. TIME 9.30 PM

 Composition(Author)

               Amit sagar(Gorakhpuri)


मंगलवार, 23 जून 2020

जून 23, 2020

हिन्दी कविता भ्रष्ट नेता | Corrupt Politician | नेता पर कविता | हिंदी कविता नेता | भरस्टाचार पर कविता |

                                भ्रष्ट नेता 


पहन  के सफ़ेद कुर्ता और पैजामा।
करता है सब ये काले काम ।
जनता का मसीहा कहते जिसको हम।
ले लेता है ये जनता की ही जान।।
नेता कहते है हम सब जिसको।
गददी पर जिसे बिठाते हम।
देकर अपना वोट जिसे हम।
जनता का सेवक बनाते हम।।
खा जाता है सरकारी फंड हमारे।
कोई विकास  कार्य ना लाता ओ।
मिलना हो किसी काम से उससे तो।
 मिलने में भी नखरे दिखाता ओ।।
हमारे ही  वोट से  बना है ओ।
और हमें ही आँख दिखता है।
हाथ जोड़कर गुमा करता था।
अब गाड़ी से चक्कर लगाता है।।
भूल गया है सब वादे अपने।
अब केवल झूठे वादे करता है।
जाति, धर्म के नाम पर अब तो।
ये दंगें करवाता है।
झूठे वादे ,झूठे कसमे हर बार ये खाता है।
बेशर्मी इनकी देखो तो
 हर साल ये चला आता है।
झूठ बोल कर हाथ जोड़ कर
 पुरानी राग ओ गाता है ।।


बातों के जादूगर है ये बातों से ही जीत जाते है ।।


                  दिनाँक  23 जून 2020  समय  9.30 शाम
                                                  रचना (लेखक)
                                              सागर (गोरखपुरी)












 




रविवार, 21 जून 2020

जून 21, 2020

पिता Father

                         पिता(Father)

थाम लेता था उँगलियाँ उनकी।

जब भी कभी मै डर जाता था।

हलकी ही मुस्कान देखकर उनकी।

मै भी थोड़ा हंस देता था।

पिता की ऊँगली पकड़ कर मैं भी।

सारा जग मै घूम आता था।

थके हो चाहे खुद  जितना भी।

पर हमको कभी ना बताते ओ।

माँ जो कहती दूध ले आओ।

बिन पूछे कुछ, चल देतें ओ।।

कंधो पे बिठा के बाजार गुमातें।

अपने गोद में हमें सुलाते ओ।

नींद हमारी खुल जाये ना कहीं तो।

धीरे से थपकियाँ लगाते ओ।।

लोरी सुनना उनको आती नहीं।

फिर भी हमें लोरी सुनाते ओ।

नींद चाहे उन्हें खुद आती हो।

थपकी फिर भी लगाते ओ।।

पिता कहते है जिसे हम सब।

मै कहता हूँ मेरे भगवान है ये।

हर पल खड़े रहतें है साथ मेरे।

चाहे धुप हो,चाहे हो छाओं।।

साथ पिता का मिले सदा।

हर जन्म में हो इनका ही साथ।

सत सत नमन,इन्हें सौ  मेरा।

सत सत नमन इन्हें सौ बार ।।

   

          दिनाँक 21 जून 2020  समय  9.45 रात्रि

                              रचना(लेखक)

                      अमित सागर (गोरखपुरी)


                         English translate


                                   Father

 He used to hold his fingers.


 Whenever I was afraid.


 Seeing his light smile


 I used to laugh a little bit too.


 I too hold my father's finger.


 The whole world used to roam.

 Be weary no matter what.


 But never tell us.


 Mother who says bring milk


 Without asking anything, let us go.

 Play market on the shoulder.


 Let us sleep in your lap.


 Sleep will open us somewhere.


 Slap gently.

 They do not know to listen to Lullaby.


 Still let us tell you Lori.


 Whether they sleep themselves.


 Still apply the pat.

 Father is what we all say.


 I say this is my god.


 Stand with me every moment.


 Whether it is sunken, whether it be camouflaged.

 Always meet the father.


 They should be with you in every birth.


 Good salute to them, my hundred.


 Good salute hundred times


         Date 21 June 2020 Time 9.45 pm

                      Composition(Author)

                   Amit Sagar(Gorakhpuri)

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