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गुरुवार, 4 जून 2020

दोस्ती बड़ी अजीब थी | हिंदी कविता दोस्ती | दोस्ती पर कविता | यारों पर कविता | दोस्ती /सागर गोरखपुरी |

                         दोस्ती
दोस्ती बड़ी अजीब थी हमारी।
क्या खूब था हमारा दोस्ताना।
लँगोटिया यार थे हम सभी।
क्या था ओ ज़माना।।
               कूद कर स्कूल की दीवारें।
               खाना ओ बर्फ के गोले।
               गणित की क्लास आते ही।
               छूट जाते थे पसीने हमारे।।
साईकिल पर डबल सवारी ।
घुमा करते थे इधर उधर।
दिख जाये कोई लड़की राहों में।
तो मुड़ जाये साईकिल उस तरफ।।               
तीन दोस्त थे बचपन के हम।
मिला एक और दोस्त अजीब।
बना सहारा मेरे जीवन में।
बना दिया मुझे काबिल।।
               सोचता हूँ क्या दिन थे वो।
               न हिन्दू थे न थे हम मुस्लमान।
               बस थे तो केवल दोस्त थे हम।
               दोस्त रहे जीवन भर।
               दोस्ती बड़ी अजीब थी हमारी।।

         दिनाँक-4 जून2020        समय 4.00 शाम

                               रचना(लेखक)     
                                             सागर (गोरखपुरी)                     

                      

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