बंजारा मन
बजारा है मन मेरा
उड़ने को है ये बेकारक।
पंख होते तो उड़ जाता मै।
हवाओं से लड़के उस पार।।
उमंग होती ढेरों ज़िन्दगी में।
कोई ख्याल ना होता मन में।
सिर्फ मै होता,मेरे सपने होते।
और उन सपनों में,मै खो जाता।।
गुदगुदाती सी खुशियां होती।
बिन हँसी की होती मुुस्कान।
बिन रंगों के भी रंगी होती दुनियां।
बिन सपनो के होते ख्वाब।।
खाना बदोस होती ज़िन्दगी मेरी।
फ़िक्र किसी की न होती।
मस्तमलंग होके घूमते रहते।
तकलीफ किसी को ना होती।।
बंजारा मन है मेरा ,उड़ने को है से बेकरार।।
दिनाँक 20 जून 2020 समय 11.00 सुबह
रचना(लेखक)
अमित सागर(गोरखपुरी)
English translate
Nomad
Nomad is my mind
These things are useless to fly.
Had it been wings I would have taken off.
Boys on him.
Happiness happens in many lives.
There is no thought in the mind.
I would have been my dream.
And in those dreams, I would get lost.
Tickling is like happiness.
Smile without laughter
The world is also colored without color.
Dreaming without dreams.
Food would spoil my life
Nobody cares.
Mastmalung used to roam around.
Nobody would suffer.
Nomad mind is mine, desperate to fly.
Date 20 jun 2020. Time. 11.00 am
Composition(Author)
Amit Sagar(Gorakhpuri)
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