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मंगलवार, 15 सितंबर 2020

हिन्दी कविता यादों का गाँव | गाँव हिंदी कविता | Hindi poem village | हिंदी गाँव की सुंदरता कविता | गाँव कविता इन हिंदी |

                               हिन्दी कविता 

                                यादों का गाँव

                                          यादों का गाँव

मेरे यादों का गाँव अब कैसा होगा।
पहले जैसा था क्या वैसा ही होगा।
क्या अभी भी चिड़ियाँ चहकती होंगी।
क्या मुर्गा बांग लगता होगा।।
चबूतरे पर बुजुर्गों की महफील।
 क्या शाम सबेरे लगती होंगी।
हुक्का पीती वो सुरेश दादी ।
क्या अब भी कहानियां सुनाती होंगी।।

क्या अब भी सब कुछ वैसा होगा।
स्कूल के बाहर चूरन की वो पुड़िया।
क्या नमक वाली इमली मिलती होगी।
इंटरवल में वो आलू का भरता ।
चूल्हे की रोटी क्या बनती होगी।।
पंचायत में वो सरपंच के तेवर।
क्या सही फैसले मिलते होंगे।
तालाबों में वो तैरने की शर्तें।
क्या लुका छुपी भी होते होगें।।

वो पेड़,वो घनी छाओं,वो बगीचे।
 नुक्कड़ पर वो दुकान, बुधवार का वो बाजार।
 बहुत याद आतें है क्या अब भी वो लगते होंगे।
जैसे पहले थे क्या वैसे ही होगें।।
सुना है बिजली,पानी,रोड भी अब तो गाँव में आयी है।
क्या वैसा ही है गांव हमारा या सब बदल कर आई है।
सोंधी सी वो मिट्टी की खुशबू,कटहल की मिठास चुराई है।
वैसा ही गाँव हमारा या सब बदल कर आई है।।

मेरे यादों का गाँव अब कैसा होगा।
पहले जैसा था क्या वैसा ही होगा।।...


            दिनाँक  14 अगस्त 2020  समय 6.04 शाम

                                       रचना(लेखक)

                               अमित सागर(गोरखपुरी)


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