कहानी
लॉकडाउन Lockdown
भाग 1
लॉकडाउन( के 72 घण्टे)
तारीख - 20 अप्रैल 2020
स्थान नोएड़ा (उत्तर प्रदेश) भारत
दिन - सोमवार
समय - शाम के 7.45
मौसम - बारिश और गर्मी का
पात्र - आलोक, सिमा और दोनों का 3 साल का बेटा
कवीर।
(ये एक काल्पनिक घटना है इसका किसी संस्था,स्थान, प्रान्त, नाम,जाति धर्म,वा वास्तविक जीवन से कोई वास्ता नहीं है और अगर ऐसा कुछ लगता है तो छमा करें।)
पुरे देश में एक महीने से ऊपर हो चूके थे लॉकडाउन को, हर इंशान के दिल में कोरोना का डर और चारो तरफ इसका ही खौप फैला हुआ था इंशान,इंशान से डर रहा था और इसी बीच राज्य सरकार ने 72 घंटे का संपूर्ण लॉकडाउन कर दिया था चारो तरफ कर्फ्यू जैसी हालत बनी हुई थी लॉकडाउन के कारण नोएडा की सभी कंपनी एक महीने से बंद चल रही थी और आलोक ने जो पैसे इकठा किये थे वो भी धीरे धीरे ख़त्म हो रहे थे।
शाम के 7 बज के 45 मिनट हुए थे और उस दिन बिना मानसून के जोरों की बारिश हो रही थी आलोक नोएडा के एक प्राइवेट कम्पनी में काम करता था और वो एक किराये के मकान में अपनी पत्नी सिमा और बेटे कवीर के साथ रहता था सिमा शाम के खाने की तैयारी कर ही रही थी कि तभी किसी ने उसके कमरे का दरवाजा खटखटाया आलोक को बड़ी हैरानी हुई की इतनी बारिश में उसके घर का दरवाजा कौन थपथपा रहा है अलोक ने अन्दर से ही आवाज लगायी कौन है? उधर से आवाज आई मै मकान मालिक इतना सुनते ही आलोक ने जल्दी से दरवाजा खोला आप इतनी रात को आलोक ने कहा,मकान मालिक ने कहा तुम्हे पता है सरकार ने कल से 72 घण्टे का संपूर्ण लॉकडाउन कर दिया है नहीं मुझे नहीं पता लेकिन कब हुआ आलोक ने पूछा? अभी खबर मिली है इतना कह कर मकान मालिक चला जाता है।
अलोक के चेहरे पर परेशानी साफ दिख रही थी तभी सिमा ने कहा क्या हुआ क्यों परेशान हो क्या कहा मकान मालिक ने, कुछ नहीं बस बोल रहा था कि कल से 72 घण्टे का संपूर्ण लॉक डाउन होने वाला है उसने सिमा से इतना कहा ही था कि दरवाजे पर फिर खटखटाने की आवाज सुनाई देती है सिमा अलोक की तरफ देखने लगती है अलोक जल्दी से दरवाजा खोलता है तो सामने फिर से मकान मालिक खड़ा था मकान मालिक ने अलोक से कहा तुम्हे मकान खली करना पड़ेगा, तभी सिमा ने मकान मालिक से कहा हमें कुछ और दिनों की मोहलत दे दीजिए आपकी बड़ी मेहरबानी होगी, नही बिल्कुल नही तुमने पिछले दो महीने से मकान का किराया नही दिया,काल सुबह तुम्हे मकान खाली करना ही पड़ेगा इतना कहकर मकान मालिक चला जाता है।
सिमा आलोक से लिपटकर रोने लगती है आलोक अपने तीन साल के बेटे कवीर की तरफ देखता है आलोक के मन मे बड़ी अजीब सी उलझन होने लगी थी उसे समझ नही आ रहा था कि क्या करें तभी सिमा ने कहा क्या होग अब आलोक ने कहा कुछ नही कर सकतें, अब तो जाना ही होगा आलोक को उस मकान में रहते 4 साल हो चुके थे और उसके बेटे कवीर का जन्म भी वहीं हुआ था,बहुत सी यादें थी जो आलोक को परेशान कर रही थी तभी आलोक ने सिमा से कहा मैं बाहर जाके कुछ गाड़ी का बंदोवस्त करता हूँ इतना कहकर आलोक कमरे से बाहर निकल जाता है।
बारिश बहुत तेज़ हो रही थी तभी सिमा ने पीछे से आवाज दी छाता तो लेकर जाओ,आलोक ने कहा छाता टूट गया है कहकर चला जाता है सिमा कमरे के अंदर जाके सामानों को समटने में व्यस्त हो जाती है उसे ये पता ही नही चलता कि आलोक को गये 2 घंटे हो चुके हैं अभी उसकी नज़र दीवाल पर टंगी घड़ी के ऊपर पड़ती है उसे घबराहट होने लगती है उसके पास फोन भी तो नही है जिससे की वो आलोक को फोन कर सकें सिमा दौड़कर दरवाजे को खोलती है तो सामने आलोक बैठा हुआ था वो पूरी तरह से भीग चुका था सिमा उसके कंधे पर हाथ रख कर उससे बोली कब आये तुम आलोक ने कहा 30 मिनट हो गए, और गाड़ी का क्या हुआ सिमा ने पूछा ।।
भाग 1 समाप्त।
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