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मंगलवार, 29 सितंबर 2020

हिंदी कहानी लॉकडाउन भाग 2 | 72 घंटे लॉकडाउन के हिंदी कहानी | सम्पूर्ण लॉकडाउन कहानी इन हिंदी |Complete lockdown story in hindi |

                                  हिंदी कहानी

                       लॉकडाउन Lockdown

                                       भाग 2



(अभी तक इस कहानी में आपने पढ़ा कि आलोक के मकान मालिक ने उसे मकान खाली करने को कहता है और आलोक गाड़ी की तलाश में घूम कर कमरे के बाहर बैठ जाता है)

                                    "अब आगे"

नही मिली कोई गाड़ी कहकर आलोक रोने लगता है।
सिमा ने कहा क्यों रोते हो सब थीक हो जायेगा तुम पहले  अंदर चलो इतना कहते ही आलोक कमरें की तरफ चल देता है सिमा तौलिये से उसके बालों को सुखाने लगती है आलोक की आंखें भर आईं थी वो सिमा के कमर से लिपटकर रोने लगता है तभी सिमा अपने आपको संभालते हुए अपने साड़ी के पल्लू से उसके आँशु पोछने लगती है वो आलोक से कहती है चलो अब जल्दी से तुम अपने कपड़े बदल लो नही तो तुम्हे ठंड लग जाएगी आलोक उठता है और अपने कपड़े बदलने चला जाता है आलोक जब कपड़े बदल के वापस आता है तब तक सिमा आलोक के लिए अदरक वाली चाये बनाकर उसका इन्तेज़ार करती है।
आलोक थोड़ा मायूस सा था तभी सिमा ने कहा हमें एक बार फिर मकान मालिक से बात करनी चाहिए आलोक ने कहा कोई फायदा नही वो मानेगा नही सिमा ने कहा फिर भी एक बार कोशिश कर के देख लेते है पर इतनी बारिश में जाएंगे कैसे अब तो छाता भी टूट गया है और कवीर का क्या करें तभी सिमा ने कहा मैं कुछ करती हूं।
सिमा कमरें के अंदर से प्लास्टिक का एक बड़ा सा टुकड़ा  ले आती है वो इतना बड़ा था कि जिसमे दोनों अपने आपको पानी से बचा सकते थे,सिमा कवीर को एक दुप्पटे से अपने सीने से लगा कर बांध लेती है फिर सिमा और आलोक उस प्लास्टिक के टुकड़े को अपने सिर के ऊपर रखकर मकान मालिक के घर की तरफ चल देतें हैं कुछ खाश दूरी नही थी सिर्फ 500 मीटर की दूरी थी आलोक के कमरे से मकान मालिक के घर के बीच, रात के 11 बज चुके थे जब आलोक ने मकान मालिक के दरवाजे की घंटी बजाई, आलोक घंटी बजाके वापस सिमा के पास आ जाता है बारिश इतनी जोरों की हो रही थी कि उनके गुठने से नीचे के कपडे भीग रहें थे 10 मिंट जो चुके थे आलोक को घंटी बजये पर दरवाजा नही खुला तभी सिमा ने आलोक से कहा घंटी फिर से बजाओ आलोक भीगता हुआ दरवाजे तक पहुंचता है और दरवाजे को हाथों से थपथपाने लगता है।
तभी जोर से बदल गरजने की आवाज होती है और कवीर भी नींद से उठ जाता है सिमा उसे थपकी लगा के सुलाने लगती है आलोक सिमा की तरफ देखता है तभी सिमा, आलोक को पीछे देखने का इशारा करती है आलोक पीछे मुडा तो मकान मालिक सामने खड़ा था सिमा कवीर को लेकर आलोक के पास पहुंचती है और दोनों हाथ जोड़कर बिनती करने लगते है सिमा कहती है मालिक हमें कुछ और दिनों की मोहलत दे दीजिए आपकी बड़ी मेहरबानी होगी हमारी नही तो हमारे 3 साल के बच्चे की खातिर कुछ दिन का समय दे दीजिए।
तभी अचानक से कवीर रोने लगता है सिमा पीछे की तरफ घूमकर कवीर को दूध पिलाने लगती है और आलोक मकान मालिक से बार बार बिनती कर रहा था, तभी मकान मालिक ने आलोक के कंधे पर अपना हाथ रखकर बोला, कुछ नही कर सकता मैं तुम्हारे लिए तुम खामखां अपना और मेरा वक़्त खराब कर रहे हो अब तुम जाओ और मुझे सोने दो इतना कहकर मकान मालिक दरवाजा बंद कर लेता है आलोक वहीं सिमा के पास बैठ जाता है दोनों एक दूसरे से लिपट कर रोने लगतें है कुछ देर बाद आलोक सिमा का हाथ पकड़कर उसे उठता है दोनों के कपड़े पूरी तरह से भीग चुके थे और कवीर भी सो चुका था आलोक और सिमा दोनों हिम्मत नही हारतें हैं और बड़ी मुश्किलों से आपने आपको समझते हुए दोनों अपने कमरे की तरफ चले देते है वो लगभग दो सौ मीटर ही चले होंगे कि तभी उन्हें ।।..............

                                        भाग 2 समाप्त।।

                 (आगे की कहानी के लिए बने रहिये मेरे साथ)


                   दिनाँक 28 सितम्बर 2020  समय  9.05 शाम
                                                  रचना(लेखक)
                                       अमित सागर(गोरखपुरी)


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