हिन्दी कहानी
सियाचिन ग्लेशियर, एक फौजी की जुबानी
Siachen Glacier
भाग 2
हमने अपना सामान रखा और गाड़ी मे बैठ गए,हमें 300 किलोमीटर की दुरी तैय करनी थी।
हमारी गाड़ी बटालियन के मुख्यद्वार से बहार हुई,एक बार फिर हमारी आँखे नम हो गयी,और सोचने लगे की क्या हम लौट सकेंगे फिर बटालियन में,और इसी कसमकस में हम आगे बढ़ने लगे,कुछ घंटों में हम समुद्र तल से 12000 फिट से 14000 फिट ऊंचाई तक पहुंच चुके थे ऑक्सीजन धीरे धीरे हवा में काम होने लगी थी।
अब हम सभी के सिर में थोड़ा दर्द होना शुरू हो चूका था।
हमने पानी की बोतल निकली और सभी ने थोड़ा पानी पिया और उस वक़्त वहां का तापमान -30℃ तक पहुंच चूका था हम ठण्ड से कांप रहे थे और हम एक दूसरे से चिपक कर बैठ गये,लेकिन फिर भी हम आगे बढ़ रहे थे कुछ ही वक़्त बाद हमने गाड़ी को किनारे किया। चारो तरफ सिर्फ बर्फ ही बर्फ थी ठंड बढ़ चुकी थी,हमने बैग से चाये की बोतल निकाली और हम सभी ने थोड़ी थोड़ी चाये पी, देखते ही देखते मौसम बदल गया,बर्फ बारी शुरू हो चुकी थी हमारी मुश्किलें बढ़ने लगी।
हमारे गाड़ी को आगे का रास्ता तये करने के लिए गाड़ी के पहिए में हमें नॉन स्किड चेन लगनी पड़ी,इसके बिना गाड़ी को बर्फ में चलाना मुश्किल हो जाता और शायद हमारी जान भी जा सकती थी ठण्ड बहोत थी हमारे हाथ और पैर ठन्डे पड़ रहे थे लेकिन फिर भी हम 40 किलोग्राम के नॉन स्किड चेन को पहिये पे लगा रहे थे।।.......
भाग 2 समाप्त।।
(आगे की कहानी के लिए बने रहिये मेरे साथ)
दिनाँक 29 जून 2020 समय 7.20 शाम
अमित सागर(गोरखपरी)
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