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मंगलवार, 14 जुलाई 2020

हिंदी कहानी भटकती आत्मा(मंगला की) भाग 4 Wandering soul (of Mangala)

                           हिन्दी कहानी

                भटकती आत्मा(मंगला की)

         Wandering soul (of Mangala)

                                 भाग 4


अमित के शरीर में  झनझनाहट  सी होने लगी थी वो उठा और घर जाने ही वाला  था कि तभी पीछे से आवाज आई मेरा नाम नहीं पूछोगे अमित पीछे मुड़ता है तभी उसने कहा "मंगला" नाम है मेरा याद रखना अमित के पसीने छूट गये थे इतन ठण्ड में भी, वो अपनी साईकिल की तरफ भागा और घर की ओर चल पड़ता है पीछे से इकबाल आवाज दे रहा था पर अमित ने पीछे मुड़कर नहीं देखा, राहों में धुंध बढ़ चुकी थी ठण्ड भी कुछ ज्यादा थी अमित डर रहा था और उसे महसूस हो रहा था कि कोई उसके साथ चल रहा है उसने साईकिल की रफ़्तार बढ़ाई तभी उसके  साईकिल की चेन उतर जाती है वो साईकिल से नीचे उतर कर चारो तरफ नज़र घूमता है पर उसे कोई नज़र नहीं आता है

उसके हाथ कांप रहे थे और वो साईकिल की चेन को चढाने की कोशिश कर रहा था रास्ता बिलकुल सुनसान था वहां कोई आवागमन नहीं था जिससे  अमित किसी की मदत ले सके, उसने जैसे तैसे चेन को चढ़ाया और साईकिल पर बैठकर आगे बढ़ने लगता है तभी एक काली बिल्ली ने अमित का रास्ता काट दिया था उसने अपनी साईकिल थोड़ी देर के लिए रोक ली थी रात के 11.45 बजे थे ठण्ड बढ़ती जा रही थी 2 मिनट के बाद वो घर को चल पड़ा,उसे अभी भी महसूस हो रहा था कि कोई उसके साथ चल रहा है अचानक से उसकी साईकिल की हवा काम हो जाती  है।

वो साईकिल से नीचे उतरता है और टायर को चेक करता है उसकी साईकिल पंचर हो चुकी थी अमित घबरा रहा था तभी अमित ने देखा दो कुत्ते उसकी तरफ देखकर भौंक रहे थे अमित ने पीछे मुड़के देखा तो कोई नहीं था फिर भी कुत्ते भौंके जा रहे थे उसी वक़्त अमित के चेहरे को एक तेज़ हवा का झोंका छुकर गुज़र ही रही थी तभी उसके कानों में आवाज आयी

     मै "मंगला हूँ" ।।

  भाग 4 समाप्त।(आगे की कहानी के लिए बने रहिये मेरे साथ)

      दिनाँक 08 जुलाई 2020 समय 7.45 शाम

रचना(लेखक)

                     अमित सागर (गोरखपुरी)



   







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