हिन्दी कहानी
घूँघट(अनदेखा रिश्ता) Veil(undiscovered relationship)
भाग 3
तभी बुआ जी की आवाज सुनाई देती है और वो शाम की चाये के लिए बुला रही थी तभी अंकित और रोहन बिना अपनी पत्नी को देखे ही शाम की चाये के लिए चले जाते है।
मुम्बई में अंकित की बुआजी और भुज में रोहन की बुआजी ने शाम के चाये के साथ दुल्हन की मुह दिखाई के लिए कुछ कपडे और जेवर लेकर बैठी थी अंकित और रोहन की बुआ जी ने उनसे कहा का दुल्हन का घुँघट हटाओ ,अभी अंकित और रोहन घबराते हुए घुँघट को हटाते है।
घुँघट हटाते ही दोनों का चेहरा देखने लायक था वो दोनों मन ही मन बहुत खुश थे और उनकी आंखें अपनी पत्नियों के चेहरे से हट नहीं रही थी तभी बुआजी ने कहा अब बस भी करो कितना देखोगे पूरी उम्र पड़ी है देखने के लेकिन
बुआजी को उनकी खुशी का अंदाज़ा नहीं था तभी बुआजी
ने उन्हें हटाया और दुल्हन के पास बैठी और मुँह दिखाई की
रस्म को पूरी की और कहा तुम्हारी जोड़ी हमेशा बनी रहे और सच में ये जोड़ी हमेशा बनी रही।
आगे क्या होने वाला है किसी को कुछ पता नहीं था। अंकित और रोहन एक हप्ते तक अपनी पत्नियों के साथ खूब मौज मस्ती करते है और फिर उनका वापस अपने घर लौटने का समाये नजदीक आ जाता है और वो अपने अपने घर अहमदाबाद लौट जाते है दोनो जोड़ियां एक दूसरे को बहुत प्यार करने लगते है।
घर पहुचते ही अंकित और रोहन की माँ अपनी बहू को उसके कमरे में ले जाती है और कहती है कि थोड़ा आराम करलो फिर बातें करते है थोड़ी देर बाद अंकित और रोहन की माँ चाये लेके कमरे का दरवाजा को खड़ खड़ाती है दोनों दुल्हने दरवाजा खोलती है तभी अंकित और रोहन की माँ जोर से चीखती है और चाये का प्याला उनके हाथों से गिर जाता है।।
भाग 3 समाप्त।।
(आगे की कहानी के लिए बने रहिये मेरे)
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