हिन्दी कहानी
भटकती आत्मा(मंगला की)
Wandering soul (of Mangala)
उसकी आंखें देख अमित थोड़ा डर सा गया था तभी उसने आँखों से अमित को अन्दर आने का इशारा किया, अमित ने हाथों में पकडे हैंडबाल को नीचे रख दिया और वो कमरे के दवाजे तक पहुँचा ही था कि अन्दर से आवाज आई The door is open come in इतना सुनते ही अमित के शरीर में झनझनाहट हुई और उसके शरीर के रोएँ खड़े हो गए थे
सर्दी में भी उसके माथे पर पसीना दिख रहा था बात चौकाने वाली ये थी की इक़बाल की बहन रज़िया बिलकुल भी पढ़ी लिखी नहीं थी और इसी बात ने अमित के रोंगटे खड़े कर दिए थे।
अमित ने जूते निकले और कमरे के अन्दर प्रवेश करता है और नीचे बैठने वाला ही था कि रज़िया ने बड़ी बड़ी आँखे दिखाते हुए अमित से कहती है" Come here and sit here" अमित इक़बाल के अब्बा की तरफ देखता है तभी इक़बाल के अब्बा अमित से बैठ जाने को कहते है और अमित रज़िया के सामने बैठ जाता है तभी अमित इक़बाल के अब्बा से पूछता है क्या हुआ इसे इक़बाल के अब्बा कहते है इसके ऊपर किसी बुरी आत्मा का साया है तभी रज़िया जोर से चीखती है और कहती मै बुरी आत्मा नहीं हूँ कह कर बेहोश हो जाती है आत्मा रज़िया का शरीर छोड़ चुकी थी रज़िया की आँखे खुलती है उसका सिर भारी लग रहा था और वो सभी को देखकर हैरान थी वो अमित से पूछती है भाई आप कब आये अमित ने कहा थोड़ी देर पहले ही आया हूँ ।
अमित ने रज़िया से पूछा तुम ठीक तो हो ना ,हाँ मै ठीक हूँ मुझे क्या हुआ रज़िया ने कहा,अमित ने मजाक में पूछा तुम तो अंग्रेजी तो बहुत अच्छा बोल लेती हो रज़िया हँसते हुए भाई क्यों मज़ाक कर रहे हो अमित ने कहा मैं सच कह रहा हूँ अचानक से रज़िया की आवाज बदली और आँखे बड़ी हुई फिर उसने अमित से कहा तुम सही कह रहे हो..।।
भाग 3 समाप्त
(आगे की कहानी के लिए बने रहिये मेरे साथ)
दिनाँक 7 जुलाई 2020 समय 9.45 शाम
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