हिन्दी कहानी घूँघट(अनदेखा रिश्ता)
Veil(undiscovered relationship)
भाग 4
तभी अंकित और रोहन दौड़ कर अपनी माँ के पास पहुँचते है दोनों की माँ एक टक दुल्हन को देख रही थी अंकित और रोहन ने अपनी माँ से पूछा क्या हुआ, माँ दुल्हन की तरफ इशारा करके बोली ये कौन है अंकित ने कहा ये हमारी पत्नी
रोशनी है और रोहन ने भी अपनी माँ से कहा ये मेरी पत्नी रचना है माँ ने जोर से चिल्ला के कहा ये तुम्हरी पत्नी है तो वो कौन थी जिससे तुम्हारी शादी करवाई थी।
अंकित और रोहन अपने माँ से कहते है माँ ये वही तो है जिससे आपने शादी कराई थी शादी के बाद से ये मेरे पास ही है माँ भी सोच में पड जाती है अंकित, रोशनी और रोहन ,रचना भी एक दूसरे को बहुत प्यार करने लगे थे।
(कभी कभी हम पुरानी परम्पराओं और रीती रिवजों में इतना उलझ जाते ही क्या गलत है क्या सही हम सोच ही नहीं पाते)
अगर अंकित ने रोशनी को और रोहन ने रचना को देखा होता तो ये गलती कभी नहीं होती।
मुझे लगता है कि आप को अभी भी समझ नहीं आया,की माँ सही कह रही है या गलत कह रही है।
माँ बिलकुल सही कह रही थी बात 21 नवम्बर 1998 की है जब अंकित और रोहन अपनी पत्नी के साथ अहमदबाद रेलवे स्टेशन पर पेलेटफार्म नम्बर 2 और 3 पर बैठे थे और वो अपने बुआजी के घर जा रहे थे अंकित और रोहन पानी की बोतल और खाने का सामान लेने गए थे दोनों की ट्रेन पेलेटफार्म पर खड़ी थी और केवल 1 मिनट का समय शेष बचा था पेलेटफार्म पर भीड़ बहुत थी और इसी एक मिनट में इन दोनों की ज़िन्दगी बदल दी।।
भाग 4 समाप्त।।
(आगे की कहानी के लिए बने रहिये मेरे साथ)
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