हिन्दी कहानी
भटकती आत्मा(मंगला की)
wandering soul (of Mangala)
भाग 6
अमित की धड़कने बढ़ रही थी तभी उसने कुछ सुना शायद मंगला ने कुछ कहा था Amit, please come in, how long have I been waiting for you (अमित कृपया अंदर आ जाओ मै तुम्हारा कब से इंतज़ार कर रही हूँ) अमित कमरे की तरफ बढ़ा ही था कि इक़बाल ने उसे रोका और कहा ये रुमाल सिर पर बांध लो फिर अंदर जाना इक़बाल ने अमित के सिर पर अपनी रुमाल बांध दी अमित कमरे के दरवाजे पर पहुंचा ही था कि तभी रज़िया झटके से अपनी गर्दन अमित की तरफ घुमाती है रज़िया के अंदर मंगला की आत्मा प्रवेश कर चुकी थी उसने कहा Where is it so late (इतनी देर कहाँ हो गई तुम्हे) अमित घबराते हुए बोला, वो मेरी साईकिल ख़राब हो गयी थी
"मंगला" समझ गयी थी कि अमित झूठ बोल रहा है उसने कहा अंदर आओ,अमित कमरे अंदर प्रवेश करता है और उसके सामने बैठ जाता है कमरे में इक़बाल के अब्बा और अम्मी पहले से मौजूद थे अमित उनसे सलाम करता है तभी "मंगला" की आत्मा अमित को थोड़ा और पास आने को कहती है अमित इक़बाल के अब्बा की तरफ देखता है उसके अब्बा अमित को करीब जाने का इशारा करते है और अमित "मंगला" के थोड़ा करीब जाता है।
तभी "मंगला" अमित से बोलती है तुम्हारा नाम अमित है ना और तुम 18 अक्टूबर 1980 को पैदा हुए थे ,तुम दो साल से मैट्रिक में 3 नम्बर से गणित में फेल हो रहे हो,इतना सुनते ही अमित के चेहरे पर पसीने की बुँदे उभर चुकी थी अमित उठकर जाने की कोशिश करता है अभी "मंगला" अमित से कहती है तुम्हे मैट्रिक पास होना है कि नहीं,अमित को मालूम था कि अगर वो इस साल फेल होता है तो उसकी पढ़ाई बंद हो जायेगी।उसकी आँखों में आँशु भर आये थे और उसने अपनी नज़रों से ही कह दिया मुझे पास होना है फिर डर कर वहीं पर बैठ गया,तभी "मंगला" ने अमित से कहा।।.....
भाग 6 समाप्त।।
(आगे की कहानी के लिए बने रहिये मेरे साथ)
भटकती आत्मा 7 www.amitsagar85.com/2020/07/7-hindi-story-wandering-soul-of-mangala.html?m=1
दिनाँक 11 जुलाई 2020 समय 3.00 शाम
रचना(लेखक)
अमित सागर(गोरखपुरी)
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