हिन्दी कहानी
भटकती आत्मा(मंगला की)
Wandering soul (of Mangala)
भाग 11
बंद कमरे में उसके चेहरे पर किसी ने तेज़ फूँक मारी और कहा कल मिलते है तभी अमित ने कहा कौन है मै "मंगला" कह कर जोर से हँसी और एक दाम से कमरे में सन्नाटा हो जाता है अमित सोने की कोशिश कर रहा था पर नींद उसकी आँखों से गुम हो गयी थी सुबह के 3.35 बज चुके थे और अमित सो गया।
(अगले दिन शाम के 7.30 मिनट हो रहे थे)
उस दिन अमित को स्टेडियम में थोड़ी दे हो गयी थी उसने अपनी साईकिल निकली और वो घर की ओर चल पड़ता है
उस दिन ठण्ड कुछ बढ़ गयी थी ठण्ड के कारण अमित अपनी साईकिल थोड़ी तेज़ चला रहा था अचानक से उसकी रफ़्तार काम होने लगी उसे लग रहा था कि जैसे कोई उसकी साईकिल के पीछे कैरिया पर कोई बैठ गया हो तभी पीछे से आवाज आती है इतनी तेजी से कहा जा रहे हो,ये कहते ही उसने अपना दाहिना हाथ अमित के कंधे पर रख देती है अमित घबरा के कौन "मंगला" इतनी जल्दी भूल गए,तभी अमित की नज़र पुलिया पर पड़ती है "रज़िया" उसी जगह बैठी है जहाँ वो पिछली शाम को बैठी थी "मंगला"की आत्मा अमित की साईकिल को छोड़कर "रज़िया" के शरीर में प्रवेश कर चुकी थी।
अमित ने अपनी साईकिल किनारे लगाई ही थी कि "मंगला" ने कहा यहाँ आओ और इधर बैठो,अमित डरता हुआ उसके पास बैठ जाता है "मंगला" ने कहा पूछोगे नहीं की उसके बाद क्या हुआ , अमित ने कहा मुझे माफ़ कर दो तभी "मंगला" ने कहा मुझे पता है तुम भूल गए थे अमित उसके हाथों को पकड़ के,आगे बताओ क्या हुआ तभी "मंगला" ने कहा जब मुझे होश आया तो मै हॉस्पिटल में थी मेरे सामने नर्स खड़ी थी मैंने चारो तरफ नज़र घुमाई पर "रजत"कही नहीं दिख रहा था मैंने नर्स से पूछा "रजत" कहाँ है नर्स ने कहा ।।.......
भाग 11 समाप्त।।
(आगे की कहानी के लिए बने रहिये मेरे साथ)
दिनाँक 20 जुलाई 2020 समय 7.00 शाम
अमित सागर(गोरखपुरी)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें