हिन्दी कहानी
घुँघट(अनदेखा रिश्ता) Veil(Undiscovered Relationship)
भाग 2
दोनों दुल्हन परेशान होने लगी थी तभी उनके पति हाथों में पानी का बोतल और खाने का सामान लिए दौड़ते हुये उनके पास पहुचे और जल्दी से अपना लगेज उठाया और जैसे ही अपने ट्रेन के कोच चढ़े ट्रेन चल पड़ी,दोनों अपने अपने बर्थ पर जा कर बैठ गए।
इन दोनों शादीशुदा जोड़ियों की शादी को केवल एक ही दिन हुए थे और अगली दिन सुबह ही ये अपने अपने रिश्तेदार के घर जा रहे थे और इनमे से किसी ने भी अपने पति या पत्नी का चेहरा अभी तक नहीं देखा था ।
अगले दिन 12 घण्टे का सफर करने के बाद दोनों अपने अपने अपने रिश्तेदार के घर पहुंचे,दरवाजे पर उनका स्वागत किया गया और उनकी पूजा की गयी फिर घर में प्रवेश कराया गया, दोनों दुल्हन ने अपने अपने बुआजी के पैरों को झुक कर छुती है और आशीर्वाद लेती है बुआजी इनकी शादी में नहीं पहुच पायी थी हैरानी की बात ये थी की अभी तक दोनों दुल्हन घूँघट में ही थी सभी ने चाये पी,थोड़ी देर बाद बुआ जी के उन्हें उनका कमरा दिखाया और कहा की तुम दोनों थक गए होंगे थोड़ा आराम कर लो शाम को आराम से बैठ के बातें करेंगे और वो अपने कमरे में चले गये।
अंकित और रोहन दोनों ने अभी तक अपनी पत्नी का चेहरा नहीं देखा था और देखने के लिए बेक़रार थे जैसे ही दोनों कमरे में जाते है और जाते ही अपने पत्नी से पुछते है कि क्या मैं आपका घुँघट हटा के आपको देख सकता हूँ पत्नी धीरे से सिर को हिला के उन्हें इज़ाज़त देती है दोनों घबराते हुए घुँघट को उठाने जाते है तभी।।
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