हिन्दी कहानी
घूँघट(अनदेखा रिश्ता)
Veil (Undiscovered Relationship)
भाग 1
21नवम्बर 1998 ,स्थान अहमदाबाद रेलवे स्टेशन (गुजरात) शाम के 7 बजे थे और उस दिन ठण्ड कुछ जादा थी चारो तरफ कोहरा छाया हुआ था पेलेटफार्म नम्बर 2 और 3 आमने सामने थे अहमदाबाद से होकर मुम्बई को जाने वाली ट्रेन 1.30 मिनट की देरी से चल रही थी और वो कुछ ही मिनट में पेलेटफार्म नम्बर 2 पर आ रही थी और पेलेटफार्म नम्बर 3 पर मुम्बई से चल कर भुज को जाने वाली ट्रेन का आगमन होने वाला था।
दोनो प्लेटफार्म के बीच में एक बेंच थी उस पर एक दुल्हन बैठी हुई थी जिसकी नाम" रोशनी" था उचाई तक़रीबन 5 फिट 7 इंच होगी, रंग कुछ सांवला था उसने लाल रंग की साडी पहन रखी थी और लम्बा सा घूँघट किये हुए अपने पति की बातें सुन रही थी जिसका नाम "अंकित" था पति शायद पत्नी से कुछ कह रहा था इन दोनों की शादी को केवल 36 घंटे ही हुए थे। और वो अहमदाबाद से मुंबई अपने बुआ जी के घर जा रहे थे पति का रंग भी सांवला था और वो अपनी पत्नी से थोड़ा लंबा था उसने अपनी पत्नी से कुछ कहा और वो कहीं चला गया।
स्टेशन पर ठण्ड बढ़ने लगी थी और पेलेटफार्म पर घना कोहरा छा गया,कुछ ही मिनट में एक और शादीशुदा जोड़ी कोहरे से निकलती हुई दिखी, लाल रंग की साड़ी में लंबा सा घूँघट किये हुए अपने पति के साथ अपना सारा सामान लिए हुए, बेंच की ओर बढ़ी और जाके बेंच पर बैठ गयी, दोनों की लम्बाई एक जैसी थी और दोनों का रंग गोरा था लड़की काम नाम "रचना"और लड़के का रोहन था और वो अहमदाबाद से भुज (गुजरात)जा रहे थे।
लड़के ने अपनी पत्नी से कुछ बोला और वहां से चला गया। दोनों दुल्हन पेलेटफार्म नम्बर 2 की तरफ घूँघट करके 10 मीटर की दुरी पर बैठी थी, और दोनों के पति शायद पानी की बोतल और कुछ खाने के लिए लेने गये थे तभी दोनों ट्रेने पेलेटफार्म नम्बर 2 और 3 पर आ चुकी थी और सिर्फ 2 मिनट का स्टॉप था और 1 मिनट बीत चुका था।..….
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