तक़दीर
तक़दीर से ही लड़ते रहे।
तक़दीर से ही हर गये।
क्या था हमारी तक़दीर में।
जो तक़दीर से ही हर गयें।।
क्या गरीब होना ही तक़दीर है।
भूखे,प्यासे मरना ही तक़दीर है।
चादरें बन जाती है हर रोज कफन हमारी।
क्या गरीब होना ही तक़दीर है।
तक़दीर से ही लड़ते रहें हम।।
ऐ खुदा तू कब समझेगा।
कैसे होते है हमारे हालात।
हर रोज गुज़रतें है तकलीफों से।
कैसे गुज़रतें है हमारी रात।
तक़दीर से लड़तें रहे हम।।
तू है कहीं या है ही नहीं।
या देख के तू है अंजान।
तकलीफों में हम ही क्यों है।
क्यूं हमे ही हैं लाचार।।
तक़दीर से ही लड़ते रहें।
तक़दीर से ही हर गयें।।
दिनाँक 13 जून 2020 समय 10.30 सुबह
रचना (लेखक)
अमित सागर (गोरखपुरी)
English translate
Fortune
They kept fighting with fate.
Defeated due to fate
What was in our fate
Which is destined for everyone
Is it destiny to be poor?
It is destiny to die hungry and thirsty.
The sheets become our shroud everyday.
Is it destiny to be poor?
We keep fighting with fate.
O God, when will you understand?
How are our circumstances
Everyday passes through problems.
How our night passes
We keep fighting with fate.
You are somewhere or not there.
Or see you are unknown
Why are we in trouble?
Why are we helpless?
Keep fighting with fate.
Everyone lost his fortune.
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