मुसाफिर
मुसाफिर है,मुसाफिर थे सभी,ज़िन्दगी के सफर में।
नहीं मिला कोई ,जो बिछड़ गये ज़िन्दगी के सफर में।
कोशिश बहोत की मैंने, मिल जायें,किसी डागर में।
जो मुसाफिर है, नहीं मिले फिर ज़िन्दगी के सफर में।।
कुछ मिले भी,ज़िन्दगी के इस सफर में,पर मुसाफिर की तरह।
चन्द लम्हा भी साथ ना चले,फिर चल दिए मुसाफिर की तरह।
बहोत लम्बा सफर है ज़िन्दगी का।
जो भी मिला बस मुसाफिर की तरह।
नहीं मिला कोई जो बिछड़ गये,ज़िन्दगी के सफर में।।
रेल की पटरियों जैसे, थे मुसाफिर हम।
चलते रहे एक साथ,पर मिले नहीं कभी हम।
बहोत दूर तक चलते रहे ,मंज़िलें काफिले में हम।
आँखे खुली तो पता चला, की मुसाफिर थे हम।।
भटकता रहा सारी उम्र, यहाँ से वहां।
मुसाफिर था इस जहाँ में,तो चलता ही रहा।
सुकून कहीं नहीं मिला,फिरता रहा यहाँ से वहां।
मैं मुसाफ़िर था इस लिए चलता ही रहा।।
दिनाँक-02जून 2020 रचना(लेखक) अमित कुमार सागर
समय- 10.00रात्रि
English translate
Traveller
There is a traveler, everyone was a traveler, in the journey of life.
No one was found in the journey of lost life.
I tried very hard to meet you in some way.
The traveler who is not found, then in the journey of life.
Some also met, in this journey of life, but like a traveler.
Even a few moments did not go along, then he walked like a traveler.
Life is a very long journey.
Whatever you got was just like a traveler.
Did not find anyone who got separated in the journey of life.
Rail tracks such as the Musafir Hum.
Keep walking together, but we never met.
We kept going far and wide, we were in the convoy.
Eyes opened, it was revealed that we were passengers.
Wandered for the whole age, from here to there.
There was a traveler in this place, it continued.
Relieved nowhere, wandered from here to there.
Who is a traveler, not in the journey of life.
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