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रविवार, 6 सितंबर 2020

लव मैरेज हिंदी कहानी | लव स्टोरी |Love Marriage Hindi Story | Love Story |

                       हिन्दी लव स्टोरी

                           लव मैरिज

Love Marriage Hindi Story | Love Story

समय -       7 बजे शाम
स्थान -       ग्वालियर
पात्र   -       अनुज,
                 साफिया(अनुज की पत्नी)
                 अंश(अनुज और साफिया का बेटा)
                  अनुज माँ
                  गौरवी( माँ की पड़ोसी)

(ये कहानी पुरी तरह से काल्पनिक है ये सिर्फ मेरी सोच से लिखी हुई कहानी है इससे किसी जाति या मजहब को ठेस पहुंचाना मेरा मक्सद नही है अगर किसी जाति विशेष को कोई भी तकलीफ हुई हो तो छमा करें।)

अनुज ने जब दरवाजा को नोक किया था उस वक़्त शाम के 7 बज रहे थे दरवाजा खुला तो उसकी माँ सामने खड़ी थी अनुज ने झुक के माँ के पैर छूने की कोशिश की थी पर अनुज की माँ ने अपने पैर को पीछे खिंच लिया था और वो भी सिर्फ इस लिए की अनुज ने अपनी मर्जी से एक मुस्लिम लड़की से शादी कर ली थी जिससे वे बहुत प्यार करता था।
कई साल हो चुके थे अनुज को अपने माँ से मिले हुए,अनुज की पत्नी साफिया बहुत दिनों से अनुज को कह रही थी कि जाओ माँ से जाके मिल आओ, इसी ज़िद के कारण ही अनुज, साफिया और अपने बेटे अंश को साथ लेकर माँ से मिलने गया था साफिया ने अपने 5 साल के बेटे को  गोद मे उठा रखा था और दूसरे हाथ में माँ के लिए शायद कुछ उपहार (Gift)ले रखा था साफिया ने अपने बेटे अंश को माँ के पास जाने को कहा और खुद आगे बढ़ के माँ के पैर छूने लगी, माँ ने हल्के हाथों से साफिया को आशीर्वाद दिया।
और नीचे झुक के अंश को अपने सीने से लगा लिया अनुज की माँ की आंखे भर आयी थी साफिया आगे बढ़ के माँ को गले लगाना चाहती थी पर उन्होंने साफिया से कहा इसकी कोई जरूरत नही है उन्होंने अंश को तो अपना लिया था क्योंकि वो अनुज का बेटा था लेकिन  साफिया के लिए अभी भी उनके दिल मे कोई जगह नही थी क्योंकि वो एक मुस्लिम लड़की थी ।
साफिया की आँखे भर आईं थी उसने पीछे मुड़के अनुज की तरफ देखा,अनुज ने साफिया से इशारों में कहा "मैं हूँ न तुम्हारे साथ" तुम परेशान मत हो,साफिया ने अपने आप को संभालते हुए अपने हाथों में लिया हुआ उपहार उसने अंश के हाथों में देते हुए उससे कहा इसे दादी जी को दे दो अंश अपनी छोटी छोटी कदमों से चल कर दादी को साफिया का दिया हुआ उपहार(Gift) दे देता है अनुज की मां अंश के गालों को चूमते हुए उसके हाथों से उपहार(Gift) को ले लेती है।
अनुज की माँ उन्हें अंदर आने को कहती है तभी अनुज ने मां से कहा, नही माँ अब हमें चलना होगा अनुज से साफिया की तकलीफ देखी नही जा रही थी साफिया को भी अजीब सी उलझन हो रही थी उसने अंश को गोद मे उठाया और झुक के माँ के पैर छुए और वो अनुज के साथ अपनी गाड़ी की तरफ चल देती है साफिया की आंखे भर आईं थी अनुज ने उसके कंधे को सहलाया और अपने जेब से रूमाल निकल कर उसके आँशु पोछने लगता है।
सभी गाड़ी में बैठ के अपने घर चले जातें है उधर अनुज की माँ ने भी दरवाजा बंद करके जब साफिया का दिया हुआ उपहार(Gift)खोला तो उनकी आंखों में आँशु आ गये थे। साफिया ने माँ को एक "भागवत गीता" दिया था उस "भागवत गीता" को सीने से लगा के अनुज की माँ रोने लगती है शायद उन्हें अपनी गलती  का एहसास हो चुका था लेकिन उन्होंने साफिया को समझने में थोड़ी से कर दी थी।
 अनुज को सिर्फ 15 मिनट ही हुए थे कि माँ के मोबाइल की घंटी बजती है अनुज की माँ ने फोन उठाया तो उन्हें पता चला की अनुज की गाड़ी का एक्ससीडेंड हो गया है। वो जोर से चीखी तभी उनके पड़ोस में रहने वाली 17 साल की लड़की गौरवी उनके पास पहुँचती है और उन्हें उस अस्पताल ले जाती है जहां अनुज,साफिया और अंश को ले जाया गया है।
अनुज की माँ जब अस्पताल पहुंचती है तो उन्हें अंश और अनुज तो ICU में दिखते है पर साफिया का कोई पता नही था लेकिन जब वो रिसेप्शन पर पहुंचती है तब उन्हें पता चलता है कि साफिया की इस दुर्घटना में मौत हो चुकी है तब उनके होश उड़ जाते है अब वो शायद अपने आपको कभी माफ नही कर पायेंगी।
कुछ दिनों बाद अंश और अनुज अस्पताल से घर आ जाते है अनुज ने अपनी माँ को कभी माफ नही किया और ना ही साफिया के मौत के बाद उसने दूसरी शादी की वो अंश की देख भाल खुद करता है।
‌10 साल हो चुके है साफिया के मौत को, लेकिन अनुज हर रोज घंटो तक साफिया की तस्वीर देखता रहता है।
2 साल पहले ही अनुज की माँ भी चलबसी।।
           
                                कहानी समाप्त।।


इस कहानी में आपने पढ़ा की हम चाहे कितने भी शिक्षित क्यूँ ना हो जाये लेकिन हमारी रूढ़िवादी विचार धारा वहीं की वहीं है हम आज भी जाति,धर्म ,उच्च नीच ,के भेद भाव के जाल से आजाद नही हुए है।

(क्या किसी लड़की या लड़के का हिन्दू ,मुसलमान होना ज़रूरी है या एक अच्छा इंशान, साफिया सिर्फ एक मुस्लिम लड़की थी इस लिए हमने उसे अपनाया नही ,क्या मुस्लिम होना उसका गुनाह था। )


        दिनाँक 05 सितंबर 2020   समय 2.00 दोपहर

                                 रचना(लेखक)

                         अमित सागर(गोरखपुरी)


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