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गुरुवार, 24 सितंबर 2020

सच कहता हूँ हिंदी कविता | Hindi poem Tell the truth | हिंदी सच कहता हूँ कविता | जनाब माहौल बहुत अच्छा है | सच कहता हूँ/अमित सागर | कोरोना पर कविता

                             हिंदी कविता

             सच कहता हूं Tell the truth

डर लगता है जनाब माहौल बहुत गंदा है।
ये लड़कियां कहती थी अब तो ज़माना कहता है।
पर कुछ भी कहिये अब आवाम बहुत अच्छा है।
एक दूसरे से इतनी दूरियां है सच कहता हूँ।
अब तो आसमान बहुत अच्छा है।।
सांसे बहुत तेज़ चलती हैं सभी थक भी अब जातें हैं।
घर की टोटी टपकती रहती है बंद करना भूल जातें हैं।
ऑक्सीजन पूरा मिलता नहीं मास्क हर वक़्त लगतें हैं।
डर इतना है कि हम अपने आपसे डर जातें हैं।।
कैशलेस तो कब के बना गए।
अब माइंडलेस भी हमें बनातें हैं।
तभी तो थाली,ताली,चमच,ये हमसे बजवतें हैं।
दिमाग हम सब अपना लगातें नही।
 अब तो दिमाग भी वही लगतें ।
गरीबों के घर मे खाने को अनाज नही।
हमसे दीया बत्ती जलवतें हैं।।
खौप ना दिखे चेहरे पर मास्क पहनते है।
डरे सहमें से लगते हैं सब,जब बाहर निकलते है।
पूछो ना क्या आलम है सब कैसे दिखते है।
मास्क का जमाना है तो सभी मास्क पहनतें है।।


 सच कहता हूँ।
अब तो आसमान बहोत अच्छा है।।........


         दिनाँक  24 सितम्बर 2020   समय  4.10 शाम

                                        रचना(लेखक)

                                अमित सागर(गोरखपुरी)


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