हिन्दी कहानी
सियाचिन ग्लेशियर,एक फौजी की जुबनी
Siachen Glacier क्या है?
(अभी तक इस कहानी में आपने पढ़ा कि अगले दिन हमें उस सफर का इन्तेज़ार था जिसे पूरी दुनिया मे सिर्फ चन्द लोग ही कर पाते है और हमें गर्व था कि उन चन्द लोगों में हम सब भी शामिल थे )
"अब आगे"
अगले दिन सुबह 6.30 मिनट पर हम सभी अपने पूरे सामान के साथ OP बाबा के मन्दिर पहुचे, माफ कीजियेगा आप सोच रहे होंगे कि ये OP बाबा कौन है आईये मैं आपको बताता हूँ कि कौन है ये "O P बाबा भारतीय सेना के एक बहादुर जवान थे और उन्हें सियाचिन ग्लेशियर में तैनात होने का अवसर मिला उसी दौरान एक ऑपरेशन में O P बाबा वीरगति को प्राप्त हुए तब से लेकर आज तक O P बाबा की आत्मा पूरे सियाचिन ग्लेशियर में पैराह देती है।
सियाचिन ग्लेशियर में जाने वाले या वहां से आने वाला हर एक सैनिक बिना O P बाबा के इज़्ज़ाज़त के बग़ैर यात्रा नही कर सकता है O P बाबा का नाम लेने से ही बड़ी सी बडी बाधा आसानी पर हो जाती है।
हम सभी बाबा के मंदिर में गये वहां सभी ने O P बाबा से अपनी कुशल यात्रा की बिनती की और जोश के साथ O P बाबा का जयकारा लगाया।
उसके बाद हम एक लम्बी कतार में खड़े हो गए हम सभी ने अपने आपको एक रस्सी से हुुक कर लिया और चलने को तैयार हो गये इस यात्रा से वापस लौटेंगे की नही इसकी कोई गैरन्टी नही थी। हम सभी के दिल मे अजीब सी उलझन थी पर कोई किसी से कुछ नही कह रहा था।
हम सभी एक दूसरे से गले मिले और अपना 30 kg का रुकसुक बैग अपने कंधों पर उठाया लिया और हाथ मे Ice Axe लेकर हम आगे बढ़ने लगे उस दिन हमे 12 किलोमीटर की दूरी तय करनी थी सफर शुरुआत से ही मुश्किल भरा था और इन सब के बीच घर की बहुत याद आ रही थी सच कहूं तो घर मे हमने बताया ही नही था कि हम कौन सी दुनिया की यात्रा पर जा रहे हैं जहां पर थोड़ी सी लापरवाही की सजा सिर्फ मौत हो सकती है हम लगातार आगे बढ़ रहे थे तभी।।.......
भाग 14 समाप्त।
(आगे और भी अच्छी बातें है अबतक बने रहिये मेरे साथ)
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