कविता
कॉलेज टाइम
याद आतें है हमें जब भी कॉलेज वो दिन।चेहरे पर हंसी बिखर सी जाती है।
सोचता हूँ खाली पल में उन पलों को जब भी ।
नालायक दोस्त बहुत याद आते हैं।।
कॉंफिडेंट लेबल तो हमारे गजब के थे।
हर सवाल पर उठ खड़े हो जाते थे।
चाहे पता ना होता सवाल का उत्तर ।
फिर भी झट से हाथ उठातें थे।।
बायोलॉजी क्लास के क्या कहने थे।
केमिस्ट्री में तो हम सो ही जाते थे।
लैब जाकर परख नाली से लड़कियों को देख करतें थे।
डर लगता था गणित की क्लास से ।
दीवार कूद कर भाग जातें थे।।
खाली पीरियड में कागज की वो रॉकेट।
Love you लिखकर जब हम उड़ाते थे।
टीचर को अगर मिल जाये कभी तो।
भरी क्लास में वो मुर्गा हमें बनते थे।
कुकुडुकु जरा जोर से बोलो कहकर वो चिलातें थे।।
इंटरवल में वो सिगरेट के सुट्टे बाथरूम जाके लगाते थे।
पता ना चले किसी को तो बबलगम हमेशा चबातेँ थे।
एक ही लड़की को हम सारे दोस्त बनना चाहतें थे।
कौन उससे आज बात करेगा बस यही शर्त लगातें थे।।
कालेज के क्या दिन थे वो अब बहुत याद आतें हैं।।...
दिनाँक 25 अक्टूबर 2020 समय 10.00 रात
रचना(लेखक)
अमित सागर(गोरखपुरी)
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