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शनिवार, 30 मई 2020

जिन्दगी के सफर में | उम्र(Age) | बुढापे पर कविता | हिंदी कविता उम्र | Poem on Age | जीवन पर कविता | उम्र / सागर गोरखपुरी

                               उम्र(Age)

ज़िन्दगी के सफर में,सब कुछ मिला मुझे।
कुछ मिले, कुछ बिछड़ गए,इस सफर में मुझे।
जो भी खोया सब कुछ मिल गया मुझे ।
बस एक चीज खोई ,जो फिर नहीं मिली मुझे।
ये उम्र है जनाब,जो फिर नहीं मिली मुझे।।
बढ़ती रही ये वक़्त के साथ।
हर पड़ाव था इसका हसीन।
सब कुछ बढ़ रही थी ज़िन्दगी में मेरी।
जो घट रही थी,ओ उम्र थी मेरी।।
हर मोड़ पे मेरे उम्र ने ,साथ दिया मेरा।
चुनैतियों से लड़ने में,साथ दिया मेरा।
हर अवस्था में ,कुछ नया सिखाता रहा मुझे।
बस जिसे मैं रोक न सका,वो उम्र थी मेरी।।
सब कुछ सिखाती है ये उम्र हमारी।
चाहे बचपन हो,चाहे हो जवानी।
गृहस्त जीवन की क्या बात करें।
सबसे अच्छी है बृद्धावस्था की कहानी।
बस एक चीज खोई जो नहीं मिली।
ये उम्र है जनाब,जो फिर नहीं मिली।।

             दिनाँक-30 मई 2020      समय-10.30 रात
                                      रचना(लेखक) 
                                   सागर (गोरखपुरी)

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