वक़्त नहीं
हर ख़ुशी है,लोगों के दमन में।
पर एक हँसी के लिए,वक़्त नहीं।
दिन रात दौड़ती, दुनिया में।
ज़िन्दगी के लिए वक़्त नहीं।।
माँ की लोरियों का तो ,एहसास है।
पर माँ को माँ ,कहने का वक़्त नहीं।
सारे रिश्तों को तो हम,मार चुके ।
सारे नाम मोबाइल में है।
पर दोस्ती के लिए वक़्त नहीं।
गैरों की क्या बात करें।
जब अपने ,सपनो के लिए वक़्त नहीं।।
आँखों में है नींद बड़ी।
पर सोने का वक़्त नहीं।
गैरों की क्या बात करें।
फैशन की दुनिया में ऐसे दौड़े ।
की थकने का भी नाम नहीं।
पराये अहसासों की कद्र करें।
जब अपने सपनो के लिए वक़्त नहीं।
तू ही बता ए ज़िन्दगी ।
इस ज़िन्दगी का क्या होगा।
की हर पल मारने वालों को ।
जीने के लिए वक़्त नहीं।
वक़्त नहीं।।
दिनांक : 08 मई 2020 समय : 11.40 सुबह
रचना (लेखक)
सागर गोरखपुरी
सागर गोरखपुरी
Beautiful
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