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बुधवार, 27 मई 2020

बंधन The bond

                                 बंधन

चलो तोड़ दें हर बंधन को आज,हमेशा के लिए।
चलो छोड़ दे,जो थामा है हाथ हमेशा के लिए।
चलो उड़ चलें,खुली हवाओं में,पतंगों की तरह।
चलो तोड़ के हर बंधन,उड़ जाएँ परिंदों की तरह।।
कसमकस से भरी है ये ज़िन्दगी की डोर।
उलझने बहोत है,और कमजोर है ये डोर।
खिंच दी अगर जो थोड़ी सी,तो टूट जायेगी ये डोर।
चलो तोड़ दें हर बंधन को आज,हमेशा के लिए।।
खिंच रहे है रिश्ते को हम,खामखां यूँ ही।
बढ़ रही है दूरिया रिश्तों में खामखां यूँ ही।
मजबूरियों ने बांध रखा है हमें एक दूजे से।
चलो तोड़ दें हर बंधन को आज,हमेशा के लिए।।
सँभालते रहें बहोत प्यार से,हमारे रिश्तें को।
नोक,झोक,तकरार होती रही,फिर भी।
थक चूका हूँ रोज की लड़ाइयों से मैं।
चलो तोड़ दें हर बंधन को आज,हमेशा लिए।।




दिनाँक-27मई2020  रचना(लेखक) अमित कुमार सागर

समय-9.00 रात्रि


                           English translate


                               The bond

 Let's break every bond today, forever.

 Let go, whoever holds hands forever.

 Let's fly, in the open air, like kites.

 Let's break every bond, fly away like birds.
 This door of life is full of curse

 It is very complicated, and this door is weak.

 If pulled a little, this door will break.

 Let's break every bond today, forever.
 We are pulling the relationship, it is silent

 The distance between distant relations is increasing.

 Compulsions tied us to a couple.

 Let's break every bond today, forever.
 Keep caring with great love, our relationship.

 Nozzle, fuss, wrangling, yet.

 I am tired of daily battles.

 Let's break every bond today, forever.



 Date - 27 May 2020 Composition (Author)  

   Time-9.00 night         Amit Kumar Sagar




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