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रविवार, 19 जुलाई 2020

हिन्दी कहानी भटकती आत्मा(मंगला की) भाग 8 Hindi story Wandering soul (of Mangala)

                              हिन्दी कहानी

                   भटकती आत्मा(मंगला की)

           Wandering soul (of Mangala)

                                  भाग 8 

ऊपर रहती हूँ कह कर हँसने लगती है अमित ने फिर पूछा क्या मैं तुम्हारे बारे में जान सकता हूँ "मंगला" की ज़िन्दगी में ये पहली बार था जब वो किसी इंसान से बातें कर रही थी और कोई उसके बारे में जानना चाहता था "मंगला"ने कहा पूछो और अमित ने पूछा तुम कौन हो तभी "मंगला"ने कहा 
मेरा पूरा नाम "मंगला चटर्जी" मेरे पिता प्यार से मुझे "मनु" बुलाते थे मेरे घर में माँ, पिता जी और एक 10 साल का छोटा भाई था हम सभी एक दूसरे की जान थे और सभी खुश थे तभी अमित ने पूछा भाई का नाम "रोहन" था उसका नाम "मंगला" ने कहा इतना कहते ही "मंगला"की आँखों से आँसुओं की बरसात होने लगी,वो शायद अपने परिवार को याद कर रही थी "मंगला" ने अमित के हाथों को पकड़ लिया था अमित ने उसे रोने से मना किया और कहा रोते हुए तुम बिलकुल अच्छी नहीं लगती।
अमित ने कहा आगे बताओ तभी "मंगला" ने कहा मुझे अब जाना होगा और जाते वक़्त उसने अमित से कहा तुम बहुत अच्छे हो अगर मुझे समझना है तो कल फिर तुम्हे आना  होगा इतना कह कर वो चली गयी थी अब अमित के दिल में डर नहीं था वो "मंगला" की भटकती आत्मा के बारे में जनाना चाहता था उधर "मंगला" भी शायद अमित से सब कुछ बताना चाहती थी ।
अगली दिन शाम 7.15 मिनट पर जब अमित स्टेडियम से इकबाल के घर लौट रहा था उसे एहसास हो रहा थी की कोई तो  है जो उसके साथ चल रहा था ठण्ड उस दिन कुछ कम थी लेकिन कोहरा कुछ जादा था  अमित ने पीछे मुड़कर देखा पर कोई नज़र नहीं आया उसने अपनी साईकिल की रफ़्तार बढ़ाई तभी उसकी नज़र इक़बाल के घर से 100 मीटर पहले एक छोटे पुलिया पर बैठी लड़की पर पड़ती है उसके बाल खुले हुए थे अमित घबरा जाता है चारो तफर सन्नाटा अमित हिम्मत करके उसके पास पहुँचता और तभी।।.....
 
  भाग 8 समाप्त।।
(आगे की कहानी के लिए बने रहिये मेरे साथ)

      तरीख 14 जुलाई 2020 समय 6.45 शाम

रचना(लेखक)

अमित सागर(गोरखपुरी)


 
           

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