हिन्दी कहानी
भटकती आत्मा(मंगला की)
wandering soul (of Mangala)
भाग 7
भटकती (आत्मामंगला की)
तुम थोड़ा और करीब आओ अमित आगे खिसकता जाता है "मंगला" की आत्मा रज़िया के अंदर थी और रज़िया कल की तरह चिराग के सामने बैठ के झूम रही थी उसके बल खुले थे और वो अमित को देखे जा रही थी अमित घबरा रहा था तभी "मंगला" की आत्मा ने भरी आवाज में अमित से कहा, मेरे चेहरे पे जो बल गिर रहे है उसे मेरे कानों के पीछे करो इसे सुनकर इक़बाल की अम्मी आगे आती है तभी "मंगला" तुम दूर हटो नापाक औरत, इतना सुनते ही इक़बाल के अब्बा इत्तर से भीगी हुई रुई को रज़िया के नाक पर लगा के उसे कानो में कलमा पढ़ के जोरों से फूँक मारते है।
तभी "मंगला"की आत्मा जोर से चीखती है और इक़बाल के अब्बा उससे पूछते है तू कौन है वो जोर से चिल्लाई और
कहा मै "मंगला" हूँ इक़बाल के अब्बा ने कहा मेरी बेटी को छोड़ के चली जाओ ,"मंगला" कभी नहीं इसके साथ तो मैं पिछले 15 सालों से हूँ कैसे छोड़ दूँ इसे, इक़बाल के अब्बा ने कहा नहीं छोड़ेगी तो इसी चिराग में तुझे जला दूंगा। इतना सुनते ही "मंगला की आत्मा रज़िया के शरीर में छटपटाने लगी उसके आँखों से आँसू बहने लगे, उसने अमित की तरफ देखाकर कहां मुझे मत जलाओ कितनी बार मुझे जलाते रहोगे, अमित ने अपने जेब(पॉकेट) से रुमाल निकली और थोड़ा आगे बढ़ के उसके आशुओं को पोछता है।
तभी "मंगला" अमित के हाथों को थाम लेती और उसकी तरफ देखने लगती है उसके आँसू नहीं थमा रहे थे तभी अमित "मंगला" से कहता है क्या मैं तुमसे कुछ पूछ सकता हूँ "मंगला" ने मोठे आवाज में कहां पूछो,अमित ने पूछा तुम रहती कहाँ हो उसने कहा सामने जो नीम का पेड़ दिख रहा है वहीँ उसके।।......
भाग 7 समाप्त।।
(आगे की कहानी के लिए बने रहिये मेरे साथ)
भटकती आत्मा 8 www.amitsagar85.com/2020/07/8-hindi-story-wandering-soul-of-mangala.html?m=1
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