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सोमवार, 10 अगस्त 2020

हिन्दी कहानी सियाचिन ग्लेशियर, एक फौजी की जुबानी भाग 7 Hindi story siachen glacier

                                         हिन्दी कहानी

                 सियाचिन ग्लेशियर एक फौजी की जुबानी                            

अगले दिन सुबह 4.30 मिनट हुए थे ट्रेनिग का पहला दिन था हम फ्रेश हुए चाये पी पैरों में 4.50 Kg का जूता पहना और कंधे पर अपना ट्रेनिग बैग(रुकसुक) उठाया जिसका वजन 14 Kg था हाथों में Ice Axe और सिर पर हेलमेट लगाकर हम ट्रेनिंग ऐरिया की तरफ चल दिए रास्ते में बर्फ थी जिससे हमें चलने में तकलीफ हो रही थी और हम दो मिनट लेट हो चुके थे हम पहुंचे तो सभी लाइनअप हो चुके थे हम सभी दौड़ के अपने टुकड़ी में मिलना चाहा पर उस्ताद ने हमें रोक लिया और हमें गुठने पर बिठा दिया उस वक़्त जोर की बर्फ बरी हो रही थी जिसके कारण हमारे बैग के ऊपर लगभग 1 फिट तक बर्फ गिर चुकी थी हम तबतक गुठने पर बैठे रहे जब तक 120 लोगों की गिनती ख़त्म नहीं हुई तबतक 20 मिनट बीत चुके थे तभी उस्ताद ने कहा मिलजाओ अपनी टुकड़ी में, हम उठे और भाग के अपनी टुकड़ी में मिल गए।
ट्रेनिंग के पहले दिन हमारा इंट्रोडक्शन होना था हम क्लास रूम में जाके बैठ गए( यही वो वक़्त था जब हम पुरे ट्रेनिंग ने पहली बार बैठे थे।) डॉक्टर की क्लास थी डॉक्टर ने जब हमें वहां पे होने वाली बीमारियों के बारे में बताया तो हमारे पसीने छूट गए (1- चिल्बिलिंग, 2- हेको, 3-हेप्पो,4-AMS)
उन्होंने ने कहा अगर ज़िन्दा रहना है तो  खुद की देख भाल खुद से ज़्यादा करनी पड़ेगी और नहीं की तो शरीर का कोई भी अंग तुम्हे खोना पड़ सकता है या फिर तुम्हारी जान भी जा सकती है किसी भी हालत में ट्रेनिंग के दौरान तुम्हे मुँह से मास्क,आँखों से चश्मा और हाथों से हैण्डग्लब्स नहीं उतारना है फिर उन्होंने कहा कोई शक हमने कहा No Sir और फिर अगले दिन।।...
               
                                       भाग 7 समाप्त।।
                 (आगे की कहानी के लिए बने रहिये मेरे साथ)
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                  दिनाँक 6 अगस्त 2020       समय  9.30 सुबह

                                                  रचना(लेखक)

                                          अमित सागर(गोरखपरी)

   

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