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बुधवार, 12 अगस्त 2020

हिन्दी कहानी सियाचिन ग्लेशियर, एक फौजी की जुबानी भाग 8 Hindi story siachen glacier

                                       हिन्दी कहानी

                 सियाचिन ग्लेशियर,एक फौजी की जुबानी

                                  Siachen glacier

                                             भाग 8

सुबह 5.30 बजे थे हम सभी ने अपने कंधे पर 14 kg का रुकसुक बैग उठा रखा था हाथ मे Ice Axe और सिर पर हेलमेट लगा रखा था तापमान -30℃ था अब हमें 5 किलोमीटर तक दौडना था उस वक़्त हमने तक़रीबन 25 किलो वजन उठा रखा था हमने दौड़ना शुरू किया सिर्फ 300 मीटर ही दौड़े थे कि हमारी धड़कने तेज़ होने लगी थी हमने चलना शुरू कर दिया सभी टुकड़ियों की यही हालत थी पूरे 5 किलोमीटर तक हमारी हालत ऐसे ही बनी हुई थी।
ये तो बस शुरुआत थी पिक्चर अभी बाकी थी PT के बाद हमने अपना जूता निकाला ,और अपने मोजे(socks) बदले जो कि भीग चुके थे हम ब्रेफास्ट कर ही रहे थे कि तभी अगली परेड के लिए सीटी बाजी हमने भाग के अपना 14 किलो का बैग अपने कंधे पर उठाया और अगली परेड के लिए चल पड़े, ठंड बहुत थी हवा का तो मत पूछिए 110 किलो/घण्टे की रफ्तार से चल रही थी और इन सबके बीच हमारी ट्रेनिंग भी चल रही थी हमारे कंधे अब दर्द करने लगे थे पिछले 5 घंटो से न तो हम बैठे थे और नही ही हमारे बैग कंधो से नीचे उतरे थे।
1लीटर पानी हमारे बैग में था ओ भी ख़त्म हो चुका था ट्रेनिग खत्म होने में अभी भी 30 मिनट बाकी थी पैरों की उंगलियां ठंडी हो चुकी थी हम बिल्कुल थक चुके थे 30 मिनट बाद हमारी ट्रेनिंग खत्म हुई शरीर मे जान नही थी कि हम 1 किलोमीटर पैदल चल के पार्किंग ग्राउंड तक पहुंचे, पर जाना तो पड़ेगा, अगर नही गये तो गाड़ी हमे छोड़ के चली जायेगी और फिर हमें 5 किलोमीटर पैदल जाना पड़ेगा
हमे भूख भी बहुत तेज लगी थी अगर नही पहुचे तो दोपहर के खाना भी नही मिलेगा,इस लिए हम जल्दी जल्दी चलने लगे और जाके गाड़ी में बैठ गए उस वक़्त 1.45 मिनट हुए थे जब हम अपने बैरेक में पहुंचे।। 

                                                भाग 8 समाप्त।।
                             (आगे की कहानी के लिए बने रहिये मेरे साथ)

                                "कहानी अच्छी लगी तो इसे शेयर कीजिये"

                            दिनाँक 10 अगस्त 2020   समय। 11.30 सुबह

                                                  रचना(लेखक)

                                          अमित सागर(गोरखपुरी)


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