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शुक्रवार, 14 अगस्त 2020

हिन्दी कहानी सियाचिन ग्लेशियर, एक फौजी की जुबानी भाग 9 Hindi story siachen glacier

               (सियाचिन ग्लेशियर, सियाचिन क्या है, ग्लेशियर कहा है

               सियाचिन में कैसे रहते है, ग्लेशियर कितना पिघलता है।)


                                        हिन्दी कहानी 

                 सियाचिन ग्लेशियर,एक फौजी की जुबानी

                                             भाग 9

पहुंचते ही हमने अपना स्टोप जलाया हमने गुनगुना पानी गर्म किया और उसमें अपने हाथ और पैरों डाल कर कुछ देर बैठे रहे, 2.30 मिनट हो चुके थे और हमे 3.15 मिनट पर शाम की ट्रेनिंग के लिए जाना था हमने दोपहर का खाना खाया और ट्रेनिंग के लिए चल पड़े।
3 सप्ताह की ट्रेनिंग में पहला सप्ताह तो ऐसे ही चलता रहा लेकिन आने वाले दो सप्ताह में जो ट्रेनिंग हुई थी हमारी उसने हम सभी के 5 kg वजन घटा दिये थे।
दूसरा सप्ताह पहला दिन हम 5 किलोमीटर की रनिंग करने के बाद हमारी अगली क्लास two points की ट्रेनिंग करनी थी (इस ट्रेनिंग में हमे 45°के Ice wall पर अपने पैर के पंजों की मद्दत से चढ़ना था।)
हमने अपने पैरों में CRAMPON( बर्फ पे चलने वाला यंत्र)
जूते के ऊपर पहना सिर पर हेलमेट हाथों में Ice Axe और कंधे पर 16 kg आ रुकसुक बैग उठाया और हम ice wall के सामने खड़े हो गए तभी हमारे उस्ताद ने कहा Two point के लिए position तैयार,हमने position बनाई और 45°के बर्फ की दीवार पर चढ़ने का अभ्यास करने लगे हम जूते में लगे नुकीले यंत्र से चढ़ने के लिए हम अपने पंजे को ice wall(बर्फ की दीवार)पर जोर से मार रहे थे।
 लगभग 5 घण्टे तक हम इसी का अभ्यास करते रहे,पैरों में पसीने की चिपचिपाहट सी महसूस हो रही थी हम बिलकुल थक चुके थे पैर और हाथ सुन्न हो रहे थे और हमे अपनी गाड़ी तक भी पहुंचना था।
किसी तरह हम अपने बैरेक तक पहुचे और हमने अपना जूता निकल, हमारे मोजे खून से लाल हो चुके थे और अंगूठा में सूजन थी हमने गुनगुने पानी मे अपने पैरों को डूब दिया,2.15 मिनट हो चुके थे और हमे शाम की क्लास के लिए भी जाना था (ऐसी बहुत सी मुश्किलें थी इस ट्रेनिंग में पर हम हरे नही) और हम सभी टेस्ट पास होते गए।
इसी तरह हमारे दिन निकल रहे थे और चुनौतियां बढ़ रही  थी ।।    

                                        भाग 9 समाप्त।।
                    (आगे की कहानी के लिए बने रहिये मेरे साथ)

                 दिनाँक 12 अगस्त 2020     समय  11 रात्रि
                                                                                                        रचना(लेखक)

                                  अमित सागर(गोरखपुरी)


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