हिन्दी कहानी सियाचिन ग्लेशियर, फौजी की जुबानी
Siachen Glacier
भाग 1
बात नवम्बर 2019 की है जब मैं सियाचिन में तैनात था तापमान शुन्य से -20℃ था हमारी पूरी बटालियन सियाचिन में थी।
और हम बहुत खुश थे और थोड़े दुखी भी थे,
खुश इस लिए थे की हम दुनियां के सबसे ऊंचे रणक्षेत्र,
में थे और दुखी इस लिए की क्या हम अपने घर कभी पहुँच पाएंगे या नहीं।
फिर भी एक दिन, मैं और मेरे कुछ साथियों ने अपने उच्चाधिकारी से सियाचिन पोस्ट पर तैनाती के लिए
बात की लेकिन समय हमारे अनुकूल नहीं था और
उन्होंने हमें मना कर दिया । हम थोड़े निराश हुए और रात
के भोजन के लिए मेस की तरफ चल दिए।
एक दिन अचानक मुझे और मेरे साथियों को ये सुचना
मिली कि हमें सियाचिन पोस्ट पर तैनाती की
अनुमति मिल गयी है । हम बहुत खुश थे।
अगले दिन हमें कमान्डर के इंटरव्यू के लिए बुलाया
गया।
हम इंटरव्यू में एक कतार में खड़े थे,कुछ ही लम्हों में
हमारे कमांडर हमारे सामने थे और आते ही बोले,
Josh है, हमने कहा Yes Sir, उन्होंने कहा
कोई परेशानी हमने कहा No Sir, इतना कह कर हमारे कमान्डर हमारे सामने से चले गए थे हमने जोश के साथ भारत माँ की जय का नारा जोर से लगाया,और उसके बाद हम अपने बैरक की तरफ चल पड़े।
अगले दिन सुबह 4.30 तापमान - 25℃ था और हमें दुनियां के सबसे ऊँचे बैट्ल स्कूल में ट्रेनिग के लिए भेजा जा रहा था मैं और मेरे साथी,अपने पूरे सामान के साथ बटालियन के मुख्य द्वार पर खड़े थे और हमें ले जाने वाली गाड़ी का इन्तेज़ार कर रहे थे हम सभी में बहुत जोश था तभी हम सभी ने एक साथ मिलकर अपने बटालियन को सैल्यूट किया और जोश के साथ हमने बटालियन और भारत माता की जय नारा लगाया इतने ही देर में हमारी गाड़ी आ चुकी थी
(और यही से शुरू होता है हमारा सियाचिन ग्लेशियर का
सफर।।)
भाग 1 समाप्त
(आगे की कहानी के लिए बने रहिये मेरे साथ)
दिनाँक 28 जून 2020 समय 9.32 रात्रि
अमित सागर(गोरखपरी)
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