हिन्दी कहानी
भटकती आत्मा(मंगला की)
Wandering soul (of Mangala)
भाग 13
किसी ने मेरे ऊपर पेट्रोल डाल दी हो उसकी महक से लग रहा थी कि वो पेट्रोल ही है मै जोर से चीखी और चिल्लाई पर कोई फायदा नहीं हुआ मैंने कहा मुझे छोड़ दो, इतना कहते ही मुझे गर्मी का एहसास हुआ मैंने अपने आपको छुड़ाने की बहुत कोशिश की पर मैं हार गयी थी देखते ही देखते मै आग के गिरफ्त में आ गयी और जलने लगी, कुछ ही लम्हो में मैं "मंगला" से आत्मा हो गयी और उसी पेड़ पर बैठ कर आज भी मै "रजत" का इंतज़ार हर रोज करती हूँ।
(अपने सुना एक बार फिर हमारी रूढ़िवादी परम्पराओं ने एक इंशान और एक राष्ट्रीय खिलाडी की जान ले ली।)
लेकिन जब से तुम्हे देखा है तुम बिलकुल "रजत" जैसे लगने लगे हो इतन कहते ही वो अमित से लिपट जाती है और रोने लगती है अमित डर रहा था कि कोई उसे और "रज़िया"को इस हल में ना देख ले अमित झट से खड़ा हो जाता है "मंगला" ने पूछा क्या हुआ,ये ठीक नहीं है अमित ने कहा तभी "मंगला" ने अमित से कहा मुझे तुमसे प्यार हो गया है अमित एक टक उसे देखता रहा, फिर अमित ने उससे बोला नहीं ये नहीं हो सकता तुम तो एक आत्मा हो, तुम मुझसे प्यार कैसे कर सकती हो "मंगला" भरी आवाज में जोर से हँसती और अमित से कहती तुमने ठीक कहा मैं आत्मा हूँ और मै किसी से भी प्यार कर सकती हूं और तुम मुझे पसंद हो,इतना कहते ही वो रोने लगती है।
अमित उसका हाथ पकड़ लेता है और उसे इक़बाल के घर ले जाता है इस बार "मंगला" ने "रज़िया" साथ नहीं छोड़ा वो अमित को देखती रही और साथ चलती रही घर पहुचते ही इक़बाल के अब्बा ने अमित से पूछा ।।......
भाग 13 समाप्त।।
(आगे की कहानी के लिए बने रहिये मेरे साथ)
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