हिन्दी
भटकती आत्मा(मंगला की)
Wandering soul (of Mangala)
अंतिम भाग
ये कहाँ मिली तुम्हे, अब्बा ये मुझे उसी पुलिया पर मिली जहाँ ये कल बैठी थी इक़बाल के अब्बा ने कहा आज मैं तुम्हे नहीं छोडूंगा चुड़ैल तभी "मंगला" चिल्लाई, मै चुड़ैल नहीं अमित उसका हाथ पकड़ के उससे कहता है तुम क्यूं फिर से जलन चाहती हो और इस बार मैं तुम्हे जलने नहीं दूंगा अब कोई "मंगला" नहीं जलेगी अमित ने कहा अभी इक़बाल के अब्बा ने कहा बेटा तुम इसे छोडो आज मैं इसे जला के दाम लूंगा।
अमित घबरा के please अब्बा इसे मत जलाओ ये बहुत अच्छी है अमित ने कहा अब्बा आप कुछ देर के लिए कमरे से बहार चले जाइए मै इससे बात करता हूँ ठीक है बेटा कह कर इक़बाल के अब्बा बहार चले जाते है अमित "रज़िया" का हाथ अपने हाथों में लेके रोने लगता है और कहता है मै तुमसे बहुत प्यार करने लगा हूँ और तुम्हे फिर से जलता हुआ नहीं देख पाउँगा,तुम इसे छोड़ दो मै ज़िन्दगी भर तुम्हारा शुक्रगुज़ार रहूँगा।
तुम हमेशा मेरा साथ रहो मै हर बार तुम्हे महसूस करूँ,तुम हर वक़्त मेरे आस पास रहो, बस इतनी सी गुज़ारिश है तुमसे, तभी "मंगला" की आत्मा ने अमित से कहा तुम सच में बहुत अच्छे हो अमित,मैं तुम्हारा साथ कभी नहीं छोडूंगी वादा है मेरा तुमसे, अमित ने "मंगला" के हाथ जोरों से पकड़ रखा था और दोनों की आँखों से आँशु बहे जा रहे थे तभी "मंगला" ने अमित से कहा बस एक बार तुम मुझे Love you(लव यू) बोल दो मै इसे हमेशा के लिए छोड़ दूंगी तभी अमित अपने हाथों से उसके अंशुओं को पोछते हुए "मंगला" को Love You कहता है और "मंगला" Love You too कहकर चली जाती है।
नोट- ("मंगला" ने रज़िया का शरीर तो छोड़ दिया पर अमित के साथ हमेशा रही)
"मंगला" और अमित एक दूसरे को हमेशा प्यार करते रहे हलाकि अमित हमेशा "मंगला" को कहता रहा की मुझे देखना है तुमको, पर "मंगला" हर बार ये कहकर टाल देती की तुम मेरा चेहरा देख नहीं पाओगे और अमित हर बार उसकी बात मान जाता था अब अमित हर रोज "मंगला" को अपनी साईकिल पर बिठा के शैर करता है वो दिखती तो नहीं पर महसूस हर वक़्त होती थी।
(इस कहानी से हमने यही सीखा की प्यार किसी जाती,धर्म रंग, रूप ,आत्मा और मनुष्य कुछ मायने नहीं रखता।)
कहानी समाप्त।।
(कहानी आप सभी को कैसी लगी coment section में जाके मुझे बताएं)
धन्यबाद।।
दिनाँक 24 जुलाई 2020 समय 4.00 शाम
रचना(लेखक) अमित सागर(गोरखपरी)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें