हिन्दी कहानी
भटकती आत्मा(मंगला की)
Wandering soul (of Mangala)
भाग 10
मै किचन में रात का खाना बना रही थी फोन की आवाज सुनते ही मै फोन की तरफ भागी और झट से फोन को उठाया मैंने हैलो कहा उधर से शायद किसी लड़की की आवाज थी उसने मुझसे कुछ कहा ही था और मैं बेहोश हो गयी थी इतना कहते ही "मंगला"की आँखों से आँशु निकलने लगते है ठण्ड बढ़ने लगी थी कोहरा भी जादा घाना होने लगा था उसने अमित के हाथों को जोर से पकड़ रखा था अचानक से उसने अमित के हाथों को छोड़ दिया था, उसकी नज़र रोड पर थी अमित ने कहा क्या हुआ, "मंगला" ने कहा कुछ नहीं अब मैं चलती हूँ आगे तो बताओ क्या हुआ अमित ने उससे कहा, उसने कहा कल मिलते है यही पर, तभी "रज़िया" अमित से कहती है।
भाई आप कब आए और मै यहाँ कैसे,अमित ने कहा मुझे क्या पता तुम तो लगभग 2 घंटे से यहीं बैठी हो,उसी वक़्त "रज़िया"के अब्बा उसे ढूढते हूए आवाज दे रहे थे
अभी "रज़िया" ने हाँ अब्बा कहा ,रज़िया के अब्बा ने कहा तुम इतनी ठण्ड में यहाँ क्या कर रही हो ,मुझे कुछ पता नहीं अब्बा मै यहां कैसे आयी तभी अमित ने कहा अभी थोड़ी देर पहले इसके ऊपर"मंगला"की आत्मा थी शायद आपके आने का आभास हो गया था उसको, इसी लिए छोड़कर चली गयी, उसी वक़्त अमित के कानों में आवाज आई, मै यही हूँ अमित डर से काँपने लगा था।
उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे "मंगला" ने उसके कंधे पर अपना हाथ रखा हो तभी "मंगला" ने उससे कहा डरो मत कल खूब सारी बातें करनी है तुमसे, इतना कह के शायद ओ चली गयी थी इक़बाल के अब्बा रज़िया को घर ले जाते है और अमित अपनी साईकिल लेके अपने घर चला जाता है ।
अमित रात का खाना खाने के बाद अपने कमरे में जाता है
तभी उसे कमरे में किसी की आहट महसूस होती अमित कमरे की सारी लाईट जला देता है पर कमरे में कोई नहीं था वो सोने ही वाला था कि तभी।।.........
भाग 10 समाप्त
(आगे की कहानी के लिए बने रहिये मेरे साथ)
भटकती आत्मा 11 www.amitsagar85.com/2020/07/11-hindi-story-wandering-soul-of-mangala.html?m=1
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