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शनिवार, 9 जुलाई 2022

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                                                    माँ
"वो रहमत है, वो बरक़त है, घर की वो रौनक है।
मिठास की पुड़िया है ख्वाबों वो की दुनियाँ है।
दुआओं की ताबीज है दुनियाँ में एक तहज़ीब है।
वो वक़्त है थोड़ी सख्त है पर जख्मों वो जैसे मरहम है।
ये कोई और नही बस माँ है।।"

दिनाँक : 09 जुलाई 2022                      समय : 10: 05 सुबह
                                                 रचना(लेखक)
                                                सागर गोरखपुरी

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