इस बार मान जा, राखी में ज़रूर आऊंगा।
मैं जानता हूँ मेरे सिवा कोई नही सहारा तेरा।
बस अबकी बार माफकर दे, मैं जल्दी लौट आऊंगा।
तुझसे ज़रूरी कोई नही, हर काम छोड़ आऊंगा।
तूने जो गिफ्ट मांगा है ना, उसे ज़रूर ले जाऊंगा।
बस तू माँ से मत कहना की छुटियाँ नही मिली मुझे।
इस बार माँ को मना ले, राखी में ज़रूर आऊंगा।।
मैं मर भी गया तो अपना वादा निभाउंगा।
पापा की ज़िम्मेदारियों से कहाँ भाग पाऊंगा।
इस बार वतन की माटी का कर्ज़ चुका लेने दे।
तेरी शादी से पहले राखी में ज़रूर आऊंगा।।
तेरे लिए मैं तेरी दुनियाँ हूँ ये सब जनता हूँ मैं।
मेरे लिए तू जहां की सारी खुशियाँ है ये भी जनता हूँ मैं।
बस तुझे किये वादे को इस बार निभाना पाऊंगा।
इस बार माफ कर दे, तेरी शादी से पहले राखी में ज़रूर आऊंगा।।
बस तू उम्मीदों का सफर कम ना करना, जल्दी आऊंगा।
माँ की साड़ी, पापा लाठी, तुम्हारे शोल भी ले आऊंगा।
मेरे कमरे में पड़ी हर चीज को बस संभाल कर रखना।
इस बार माफ कर दे, तेरी शादी से पहले रखी में ज़रूर आऊंगा।।
दिनाँक : 22 फरवरी 2023 समय : 10:00 रात
रचना(लेखक)
सागर गोरखपुरी
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