अगले जन्म
कभी फुर्सत में मिलोगी तो बताऊंगा तुम्हें।
एक खत लिखा है तुम्हारे लिए पढ़ के सुनाऊंगा तुम्हें।
अब पागल समझने लगे है लोग मुझे, ये पता नही है तुम्हें।
अगले जन्म में मिलोगी तो हक़ीक़त से मिलाऊँगा तुम्हें।।
तुम्हारे लिए मैं अब एक अजनबी मोड़ बन गया हूँ ये पता है मुझे।
मगर गुजरोगी जब भी वहां से तो वहीं खड़ा मिलूंगा तुम्हें।
पूछता हूँ हर एक शक़्स तेरे घर का पता, ये मालूम नही है तुम्हें।
अगले जन्म में मिलोगी तो हर एक शक़्स से मिलाऊँगा तुम्हें।।
बहुत किया इंतेज़ार तेरा, करूँगा हमेशा ये पता है तुम्हें।
हक़ीक़त में ना सही मगर ख्यालो में अक़्सर मिलूंगा तुम्हें।
मेरे आंखों का दरिया अब थम सा गया है तेरे इंतेज़ार में।
अगले जन्म में मिलोगी तो बहते दरिया से मिलाऊँगा तुम्हें।।
तुमने चाहा था मुझे बेइंतहा ये सब पता है मुझे।
मेरी चाहत भी तुझसे कम नही थी ये भी पता है तुम्हें।
तेरे मेरे दरमियाँ जो रिश्ता ज़िंदा है उसका इल्म नही तुम्हें।
अगले जन्म में मिलोगी तो रिश्तों के एहमियत से मिलाऊँगा तुम्हें।
मेरे चले जाने की वजह क्या थी ये पता है तुम्हें।
अगले जन्म में मिलोगी तो हक़ीक़त से मिलाऊँगा तुम्हें।।
दिनाँक : 28 जनवरी 2023 समय : 02:40 शाम
रचना(लेखक)
सागर गोरखपुरी
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