कभी फुर्सत के पल मिले तो क़रीब आकर बैठ ऐ जिंदगी।
दिया है जो कुछ भी मुझे, उसका हिसाब तो कर ऐ जिंदगी।
तेरा शुक्रगुजार हूं कि तूने मुझे, ज़मीं से आसमां में उड़ने की आजादी दी।
कुछ ख्वाब अधूरे हैं उसे पूरा कर लेने की मोहलत दे ऐ जिंदगी।।
दिनाँक : 06 सितंबर 2022 समय : 12:03 दोपहर
रचना(लेखक)
सागर गोरखपुरी
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