Hello friends my name is Amit Kumar Sagar and I am a government employee, with this platform, I will tell my thoughts, my poems, stories, shayari, jokes, articles, as well as my hobbies.

Breaking

Translate

बुधवार, 21 सितंबर 2022

बेटियां | बेटियों पर हिंदी कविता | सागर गोरखपुरी की कविताएं | लड़कियों पर कविता | महिलाओं पर कविता | महिला शोषण पर कविता | बेटियों पर कविता | महिला उत्पीड़न पर हिंदी कविता | poem on Daughters | औरतों के जीवन पर कविता | बेटी अत्याचार पर कविता

                                             बेटियां
घर वही, आंगन वही, सारे रिश्ते नाते सब वही।
दिन वही, रातें वही, मां का आँचल पिता का शाया वही।
जब सब कुछ वही है तो मेरा आंगन मेरा क्यूं नही।
जो घर कभी हमारा भी था बेटियों के लिए उनका घर उनका क्यूं नही।।
बाबा मैं तेरी गुड़िया वही, आंगन की सोन चिरईया वही।
तेरी चिंता वही, फिक्र वही, पर उस घर में मेरी याद क्यूं नही।
जिस दहलीज़ से तूने बिदा किया उसमें क्यूं मेरा प्रवेश नही।
जो घर कभी हमारा भी था बेटियों के लिए उनका घर उनका क्यूं नही।।
माँ तुम वही, बाबा वही, पर भाई और मैं एक जैसे क्यूं नही।
हम सब एक जैसे ही तो है पर मैं तुम जैसी क्यूं नही।
मेरा कोई दोष नही जो जनमी बेटी बनकर मैं।
फिर क्यूं इतना क्रोध है मुझसे, बेटे के लिए क्रोध क्यूं नही।
जो घर कभी हमारा भी था बेटियों के लिए उनका घर उनका क्यूं नही।।
मुझे कुछ ना चाहिए उस दुनियां से, फिर भी क्यूं मेरे लिये वहां प्यार नही।
क्या इतने बेगाने हो गये हैं हम की दीवारों पर भी कोई निशान नही।
जननी है वहां की माटी मेरी, उस माटी से क्यूं मेरी पहचान नही।
जो घर कभी हमारा भी था बेटियों के लिए उनका घर उनका क्यूं नही।।
                 "बेटियों के लिए उनका घर उनका क्यूं नही"।।


दिनाँक : 18 सितंबर 2022                     समय : 10: 10 सुबह
                                                रचना(लेखक)
                                               सागर गोरखपुरी


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Most Recent post

लेखक !! Poem on Writer by sagar gorakhpuri !! लेखक पर कविता !! Poem on behalf of All Writer !! लेखक हिंदी कविता !! लेखक पर सबसे अच्छी कविता !!

     लेखक मैं जन्मा जिस तरह उस तरह मरना नही चाहता हूँ। मैं लेखक हूँ सियाही से खुद की उम्र लिखना चाहता हूं। खुद के ख्वाहिशों के लिए अब वक़्त न...