तेरे इंतेज़ार
कई शाम गुज़ार दी है तेरे इन्तेजार में मैंने।
हर रोज़ दीये जलाएं हैं, उम्मीदों के चौखट पे मैंने।
तू आये, आकर कहीं लौट ना जाये दस्तक देकर।
इस लिए दिल के दरवाजे पर निगंहो के चौकीदार बिठा रखे हैं मैंने।।
हर रोज़ दीये जलाएं हैं, उम्मीदों के चौखट पे मैंने।
तू आये, आकर कहीं लौट ना जाये दस्तक देकर।
इस लिए दिल के दरवाजे पर निगंहो के चौकीदार बिठा रखे हैं मैंने।।
दिनाँक : 28 नवंबर 2022 समय : 8.30 शाम
सागर गोरखपुरी
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