तुझसे मिलना
तुझसे मिलना कोई इत्तेफ़ाक़ नही हैं।
जुड़ना भी तुझसे कोई चमत्कार नही है।
लकीरें मिलती हैं शायद हाथों की हमारे।
हमरा एक हो जाना कोई इत्तेफ़ाक़ नही है।।
दिनाँक 10 मई 2022 समय 01.25 दोपहर
सागर गोरखपुरी
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