माँ
तू धूप मेरी, तू छांव मेरी, दुआ मेरी तू माँ।
आसमां मेरी तू फ़िज़ां मेरी, सारा जहां मेरी तू माँ।
नींद मेरी, तू ख्वाब मेरी, है सुबह मेरी तू माँ।
तू इत्तर है, मेरी फिक्र, है जननी मेरी तू माँ।।
दिनाँक 09 मई 2022 समय 07.11 सुबह
रचना (लेखक)
सागर गोरखपुरी
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